हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रावास में खुदकुशी करने वाले दलित छात्र रोहित वेमुला के परिजनों ने विश्वविद्यालय की तरफ से दी गई अनुग्रह राशि की पेशकश को ठुकरा दिया। परिजनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की आलोचना करते हुए सवाल किया कि जवाब देने में उन्हें पांच दिन का समय क्यों लग गया।
हैदराबाद विश्वविद्यालय के एक छात्र रोहित वेमुला द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटना के बाद विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों के समर्थन में आगे आए दलित शिक्षकों ने धमकी दी है कि यदि चार अन्य छात्रों का निलंबन रद्द नहीं किया जाता तो वे प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे देंगे।
हैदराबाद अकेला नहीं है। देश के विभिन्न भागों में शिक्षा के मंदिरों को राजनीतिक अखाड़ा बनाया जा रहा है। हैदराबाद विश्वविद्यालय में दलित छात्र द्वारा की गई आत्महत्या की दुःखद घटना के बाद केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेता अपने मंत्रियों के बचाव के साथ घटना पर लीपापोती की कोशिश कर रहे हैं। इस घटना को स्थानीय चुनावों से जोड़ा जा रहा है।
बहुजन समाज पार्टी ने हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित छात्र रोहित वेमुला आत्महत्या मामले में केंद्रीय मंत्रियों का इस्तीफा मांगा है। साथ ही पार्टी ने इस पूरे प्रकरण की वस्तुस्थिति जानने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भी भेजा है।
दलित शोधार्थी रोहित की कथित आत्महत्या के बाद हैदराबाद विश्वविद्यालय के परिसर में आज ताजा विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बीच अब इसपर राजनीति भी होने लगी है। टीआरएस सांसद के नेतृत्व में हैदराबाद में जहां एक सामाजिक संगठन ने केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रोय के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन करने का प्रयास किया वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने विश्वविद्यालय का दौरा किया।
हैदराबाद विश्वविद्यालय के एक दलित छात्र की आत्महत्या के विरोध में जाने-माने लेखक अशोक वाजपेयी ने विश्वविद्यालय से उन्हें प्रदान की गई डी. लिट की उपाधी लौटाने का एलान किया है। वाजपेयी ने यह फैसला विश्वविद्यालय प्रशासन के दलित विरोधी रवैये के विरोध में लिया है जिसकी वजह से रविवार की रात रोहित वेमुला नाम के एक दलित छात्र को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा।
पंजाब में कर्ज की वजह से न केवल किसान बल्कि खेत मजदूर भी आत्महत्या कर रहे हैं। राज्य में अरसे से किसानों के अलावा खेत मजदूरों की सुध लेने के लिए आंदोलन भी जारी है। गौरतलब है कि राज्य की कपास पट्टी में सर्वाधिक किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। अब सरकार कपास की चुगाई करने वाले उन खेत मजदूरों की स्थिति का जायजा लेगी जो भूख और कर्ज की वजह से आत्महत्याएं करने पर विवश हैं।