श्रीलंका में 12 अगस्त से तीन टेस्ट टेस्ट मैचों की शृंखला खेलने के लिए रवाना हुई भारतीय टीम के खिलाड़ियों के साथ न तो उनकी पत्नियां गई है और न ही प्रेमिकाओं को जाने की इजाजत मिली है।
अनिल कुंबले, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वी. वी. एस. लक्ष्मण जैसे पूर्व दिग्गज खिलाडिय़ों पर भी हितों के टकराव की गाज गिर सकती है क्योंकि ये सभी पूर्व खिलाड़ी किसी-न-किसी रूप में आईपीएल फ्रेंचाइजी टीमों के अनुबंध से जुड़े हैं या फिर कंपनियों के साथ इनका करार है। इस वजह से उनकी बीसीसीआई से जुड़ी जिम्मेदारियां प्रभावित हो सकती हैं।
राष्ट्रपति भवन में चाहे और बहुत कुछ हो मगर सफाई जरा कम है। हाल ही में जारी स्वच्छता अभियान रेटिंग में राष्ट्रपति भवन पिछड़ गया है। राष्ट्रपति भवन को हैदराबाद हाउस, विज्ञान भवन और जवाहरलाल नेहरू भवन ने पछाड़ा है।
निर्वासित जीवन जी रहे आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के जिन तीन खिलाड़ियों पर मुंबई के कारोबारी से रिश्वत लेने का जिक्र किया था, उन्हें भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) ने क्लीन चिट दे दी है।
न्यूजीलैंड में भारतीय उच्चायुक्त को देश छोड़ना होगा। उनकी पत्नी पर एक कर्मचारी को प्रताड़ित करने का आरोप लगा है। मीडिया में आई खबरों में बताया गया कि उच्चायुक्त रवि थापर को औपचारिक तौर पर बुला लिया गया है और आज उनके वेलिंगटन स्थित आवास पर एक गाड़ी खड़ी हुई नजर आई।
गेंद और बल्ले के बीच संतुलन बनाने के लिए आगामी 5 जुलाई से वनडे क्रिकेट के नियमों में फेरबदल होने जा रहा है। अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट संघ की सालाना बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं, जिससे गेंदबाजों को राहत मिलेगी जबकि बैटिंग पावरप्ले खत्म हो जाएगा। बारबडोस में एन श्रीनिवासन की अध्यक्षता में हुई बैठक में आईसीसी चीफ ऐग्जिक्युटिव कमिटी की ओर से मंजूर किए गए इन प्रस्तावों को आईसीसी बोर्ड ने भी मंजूर कर लिया है। जानिए, वनडे क्रिकेट कैसे बदलने जा रहा है
पत्रकार से फिल्म निर्देशक बने विनोद कापड़ी की पहली फिल्म मिस टनकपुर हाजिर हो बॉक्स ऑफिस के कमाई के रिकॉर्ड तोड़ पाएगी या नहीं यह तो वक्त बताएगा, लेकिन अपनी पहली ही फिल्म में विनोद कापड़ी ने बता दिया है कि यह एक जरूरी फिल्म है।
अगले साल भारत में होने वाले विश्व ट्वेंटी-20 क्रिकेट प्रतियोगिता के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) और भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) के बीच मैचों के स्थानों की संख्या को लेकर मतभेद बना हुआ है।
दूरदर्शन द्वारा संस्कृत-समाचार प्रसारण की अवधि बढ़ाने के निर्णय पर कोई खास आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि संस्कृत मोदी सरकार के एजेंडे में है। इस निर्णय का निहितार्थ भी आसानी से समझ में आने वाला है, इसलिए इस पर सवाल भी उठेंगे ही। इस ऐलान के बाद लोगों के जेहन में सबसे पहला सवाल तो यह है कि संस्कृत में न्यूज बुलेटिनों और समाचार-चर्चा के कार्यक्रमों का दर्शक या श्रोता वर्ग कौन है? दूसरा सवाल यह है कि देश में कितने लोग ऐसे होंगे जो वास्तव में संस्कृत माध्यमों से इन कार्यक्रमों की बाट जोह रहे हैं? ये महज शोशा है या इसकी कोई ठोस जरूरत है?