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Search Result : "रक्षा खरीद नीति"

वन रैंक वन पेंशन सिद्धांतत: मंजूर, विधवाओं को एकमुश्त बकाया

वन रैंक वन पेंशन सिद्धांतत: मंजूर, विधवाओं को एकमुश्त बकाया

मोदी सरकार ने वन रैंक वन पेंशन की मांग मान ली है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शनिवार को प्रैसवार्ता में इस बात का एलान किया है। इसे एक जुलाई, 2014 से लागू किया जाएगा और इसमें स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने वाले सैनिकों को शामिल नहीं किया गया है।
हुर्रियत से मुलाकात पर अड़ा पाक, एनएसए वार्ता पर संकट

हुर्रियत से मुलाकात पर अड़ा पाक, एनएसए वार्ता पर संकट

भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की बातचीत के टलने के आसार लग रहे हैं क्योंकि दोनों ही पक्ष कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के मुद्दे पर उलझ गए हैं। भारत के सुझाव को दरकिनार करते हुए पाकिस्‍तान हुर्रियत नेताओं से मुलाकात पर अड़ा है।
कमी नहीं, किसानों की आत्महत्या होनी ही नहीं चाहिएः अदालत

कमी नहीं, किसानों की आत्महत्या होनी ही नहीं चाहिएः अदालत

देश में किसानों की आत्महत्या के मामलों में व्यापक कमी आने संबंधी केंद्र सरकार के दावों से उच्चतम न्यायालय आज संतुष्ट नहीं हुआ और उसने कहा कि एक भी ऐसा मामला नहीं होना चाहिए। साथ ही न्यायालय ने आठ साल पुरानी कृषि नीति पर फिर से गौर करने के बारे में केंद्र से जवाब मांगा है।
वन रैंक, वन पेंशनः एक और पूर्व सैनिक आमरण अनशन पर

वन रैंक, वन पेंशनः एक और पूर्व सैनिक आमरण अनशन पर

आंदोलन समाप्त करने के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के सुझाव को दरकिनार करते हुए वन रैंक, वन पेंशन योजना को लागू करने का सरकार पर दबाव बनाने के लिए शुरू किए गए आमरण अनशन में आज एक और वरिष्ठ पूर्व सैनिक शामिल हो गए।
पुराने वाहन लौटाने पर 1.5 लाख रुपये देगी सरकार!

पुराने वाहन लौटाने पर 1.5 लाख रुपये देगी सरकार!

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक, सरकार ऐसी योजना लाने की तैयारी कर रही है जिसके तहत पुराने वाहन लौटाने पर डेढ़ लाख रुपये तक का प्रोत्‍साहन दिया जाएगा।
आजादी विशेष | विचारों की स्वतंत्रता पर बंदिश की भाषा

आजादी विशेष | विचारों की स्वतंत्रता पर बंदिश की भाषा

राजनीतिक-आर्थिक-सामाजिक सत्ता क्रम को नियंत्रित करने वाले वर्गों, समूहों, समुदायों और संस्थाओं के इस्तेमाल की भाषा में उनके वर्चस्ववादी पूर्वग्रहों के शब्द-संकेत देखे और व्याख्यायित किए जा सकते हैं। भारत की आजादी के 68 वर्ष बीतने पर हमारे राजनीतिक और सुरक्षा प्रतिष्ठानों के चालू विमर्श में हम ऐसे दो चलताऊ जुमलों की निशानदेही करना चाहेंगे जिनके निहितार्थ हमारी स्वतंत्रता सीमित करने के संदर्भ में गंभीर हैं।