पिछले दो सप्ताह के दौरान यूरोप के दो बड़े देशों पर वामपंथ का रंग चढ़ता नजर आया। ब्रिटेन में हाथिये पर समझी जाने वाली वामपंथी और समाजवादी विचारधारा ने जबरदस्त तरीके से वापसी के संकेत दिए तो यूनान में वामपंथ का जादू एक बार फिर चला।
गोरखपुर के रहने वाले राजेंद्र सिंह बीएसएफ के जवान हैं। उनका बेटा प्रदीप स्कूल की छुट्टियां होने के कारण कानपुर घूमने गया। कानपुर से वापसी के दौरान वह ट्रेन से कहीं लापता हो गया। बड़ी कोशिशों के बाद भी प्रदीप का कुछ पता नहीं चला। कानपुर जीआरपी ने पंद्रह दिन के बाद गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की। लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई।
मीरांबाई की संघर्ष-यात्रा को केंद्र में रखकर लिखा गया उपन्यास ‘रंग राची’ आखिरकार पाठकों तक पहुंच ही गया। दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में नामवर सिंह ने अध्यक्षीय आशीर्वचन दिया। उन्होंने कहा, ‘हिंदी में बहुत कवयित्रियां हुई लेकिन जो स्थान मीरां ने बनाया वह सब के लिए आदर्श है। मीरा को करूणा, दया के पात्र के रूप में देखने की जरूरत नहीं है, मीरां स्त्रियों के स्वाभिमान की प्रतीक हैं।’ इस उपन्यास को सुधाकर अदीब ने लिखा है और यह राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।
जनता दल यूनाइटेड के बागी विधायक अब भारतीय जनता पार्टी का गुणगान कर रहे हैं। तकनीकी कारणों से भाजपा में शामिल न हो पाने के कारण ये विधायक जदयू के साथ बने हुए हैं लेकिन भाजपा का प्रचार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुज्जफरपुर की रैली को सफल बनाने के लिए जदयू के बागी विधायकों ने पूरा जोर लगाया और यहां तक की रैली में भी शामिल हुए।
राजकमल प्रकाशन से आठ खंडों में प्रकाशित राजकमल चौधरी रचनावली के प्रथम दो खंडों में कविता, तीसरे-चौथे खंड में कथा, पांचवे-छठे खंड में उपन्यास, सातवें खंड में निबंध-नाटक और अंतिम खंड में पत्र-डायरी को शामिल किया गया है।