नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया ने विश्वास जताया है कि विकास आधारित नीतियों पर आगे बढ़ते रहने से भारतीय अर्थव्यवस्था अगले 15 साल या उससे भी कम समय में 8,000 अरब अमेरिकी डालर तक पहुंच सकती है और यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है।
सरकार पर 'किसान विरोधी' होने का दाग लगवाकर भी भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की जिद्द पर अड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यही मुद्दा नीतिगत मोर्चे पर शिकस्त दे रहा है। बुधवार को हुई नीति आयोग की बैठक में तकरीबन साफ हो गया कि केंद्र सरकार संसद के जरिये भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की आस छोड़कर राज्यों को अपने कानून बनाने के लिए प्रेरित करेगी। हालांकि, मोदी सरकार से यह प्रेरणा लेने के लिए केवल 16 मुख्यममंत्री मौजूद थे। यानी भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की कवायद पूरे देश के बजाय अब एनडीए शासित राज्यों तक सिमट जाएगी। लेकिन इसके खतरे भी कम नहीं हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र द्वारा बुलाई गई नीति आयोग की बैठक में कांग्रेसशासित किसी राज्य के मुख्यमंत्री ने हिस्सा नहीं लिया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री भी बैठक में नहीं पहुंची। कांग्रेसशासित राज्यों के मुख्यमंत्री ने बैठक में न आने के बारे में कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक पर चर्चा होनी है इसलिए बैठक में नहीं जा रहे हैं।
मानसून पूर्व नीति आयोग की राजनीति से लोकसभा के मानूसन सत्र और भूमि अधिग्रहण विधेयक पर घनघोर काली घटाएं मंडराने लगी हैं। मतलब लोकसभा में गर्जन-तर्जन होगा, बिजली कड़केगी, विपक्ष की बौछार तेज पड़ेे और संसद बाधित होती। 21 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है और इस सत्र से पहले नीति आयोग की बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सन 2014 सिविल सर्विसेज परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए है। इस बार प्रावीण्य सूची में शुरुआती पांच में से चार लड़कियां है। इन लड़कियों में – पहले स्थान पर ईरा सिंघल, दूसरे पर रेनु राज, तीसरे पर निधि गुप्ता और चौथे स्थान पर वंदना राव ने कब्जा जमाया है। ईरा और निधि गुप्ता दोनों दिल्ली से हैं और वे दोनों ही भारतीय राजस्व विभाग में कार्यरत हैं।
सरकार ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने का फैसला किया है जबकि आयोग के दो अन्य सदस्यों विवेक देबराय और वी. के.सारस्वत को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है।
जुलाई के पहले सप्ताह में होने वाले बिहार विधान परिषद की स्थानीय निकाय कोटे की रिक्त 24 सीटों के चुनाव को लेकर पटना हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा है। हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से पूछा है कि जो चुनाव कराए जा रहे हैं उसमें सदस्यों का कार्यकाल कितने दिनों के लिए होगा।