अमिताभ बच्चन कल शाम इंडिया हाउस में समारोह के औपचारिक उद्घाटन के लिए मिस्र में भारत के राजदूत नवदीप सूरी द्वारा आयोजित विशेष भोज में शामिल हुए। यह समारोह 17 अप्रैल तक चलेगा।
जबलपुर पुलिस ने एक चर्च और एक अन्य धार्मिक परिसर में तोड़फोड़ करने के आरोप में छह व्यक्तियों को सोमवार तड़के गिरफ्तार कर लिया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ईशा पंत ने एजेंसी भाषा को बताया कि पुलिस ने एक कैथोलिक स्कूल और धार्मिक परिसर में तोड़फोड़ करने के आरोप में छह व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया है।
नगालैंड में बलात्कार के आरोपी की हत्या वाले मामले में दिमापुर के डीसी और एसपी को संस्पेंड कर दिया गया है और मामले की न्यायिक जांच शुरू हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से मामले की जानकारी मांगी है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि जांच पूरी होने पर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस बीच मुस्लिम संगठनों ने पुलिस के मूकदर्शक बने रहने पर सवाल उठाया है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारत को सिर्फ शांति सुनिश्चित करने के लिए ही नहीं बल्कि अपनी क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए भी मजबूत रक्षा बलों की जरूरत है।
उत्तर पूर्वी नाइजीरिया में दो आत्मघाती हमलों में कम से कम 38 लोग मारे गए। देश में 28 मार्च को चुनाव होने हैं और बोकोहरम के नेता ने मतदान में व्यवधान डालने की धमकी दी है।
प्रधानमंत्री ने रक्षा आयात पर भारत की निर्भरता खत्म करने की आवश्यकता की जोरदार वकालत की है। बेंगलुरू में उन्होंने इस क्षेत्र में विनिर्माताओं को पक्षपात रहित कर व्यवस्था सहित निवेश- अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने का वायदा किया।
मिस्र की राजधानी काहिरा में फुटबॉल मैच के दौरान 30 लोगों की मौत हो गई। एक मैच के दौरान स्टेडियम में प्रवेश को लेकर फुटबाल प्रेमियों और पुलिस के बीच का संघर्ष इसकी वजह बना। इस घटना में कई लोग घायल भी हैं।
निर्मला देशपांडे की पाकिस्तान में बरसी से उठी ये सदाएं मनमोहन सिंह पहुंची या यह उनकी अंत: प्रेरणा थी अथवा अमेरिकी उत्प्रेरणा, जैसा कि कुछ लोग विश्वास करना चाहते हैं, शर्म अल शेख के संयुक्त वक्तव्य में ब्लूचिस्तान के जिक्र के लिए राजी होकर और भारत-पाक समग्र वार्ता के लिए भारत में आतंकवादी हमले रोकने की पूर्व शर्त को ढीला करके भारतीय प्रधानमंत्री ने शांति के लिए एक जुआ खेला है। मुंबई हमले के बाद दबाव की कूटनीति से भारत को जो हासिल होना था वह हो चुका और पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकतंत्र के खिलाफ अपेक्षया गंभीर कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ा। दबाव की कूटनीति की एक सीमा होती है और विनाशकारी परमाणु युद्ध कोई विकल्प नहीं हैं। इसलिए वार्ता की कूटनीति के लिए जमीन तैयार करने की जरूरत थी। ब्लूचिस्तान के जिक्र को भी थोड़ा अलग ढंग से देखना चाहिए।