देश के सभी कोनों से, सभी भाषाओं में एक ही आवाज उठ रही है। यह अपने आप में ऐतिहासिक परिघटना है। इससे पहले इस देश में इतने बड़े पैमाने पर लेखकों-साहित्यकारों-रंगकर्मियों ने एक साथ एक ही मुद्दे पर मिलकर आवाज नहीं उठाई थी। वे सब अलग-अलग राज्यों से, अपनी-अपनी भाषाओं में एक ही स्वर बोल रहे हैं।
सांप्रदायिक राजनीति, अभिव्यक्ति की आजादी पर बढ़ते हमलों और बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का सिलसिला तेज होता जा रहा है। अब तक विभिन्न भाषाओं के करीब 15 साहित्यकार पुरस्कार लौटा चुके हैं।
दलाल स्ट्रीट को सबसे महंगा सदस्य मिल गया है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के भगवान बालाजी का यहां खाता खुल चका है। इस बारे में टीटीडी प्रबंधन का कहना है कि अब भक्त यहां शेयर और प्रतिभूतियों का भी दान कर सकते हैं।
सुरक्षा एजेंसियों की भारी चौकसी के बीच शहर में आज भगवान जगन्नाथ की 138 वीं रथयात्रा और ईद उल फित्र का त्योहार मनाया गया। ये दोनों त्योहार 30 वर्ष बाद संयोग से एक ही दिन मनाये गये। धूमधाम से शुरू हुई इस रथयात्रा में हजारों श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच भगवान जगन्नाथ की सदी की प्रथम नबकलेबर यात्रा पुरी में शनिवार को पारंपरिक श्रद्धा और उल्लास के साथ निकाली गई। देश विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की नयी मूर्तियों की नौ दिनों की यात्रा देखने के लिए पुरी आए हैं। यह यात्रा गुंडीचा मंदिर तक होगी और वहां से अपने अपने मूल स्थान पर लौटेगी।
जब से नेताओं के विपश्यना करने की खबरें आने लगी हैं तब से आम लोगों की भी इसमें रुचि बढ़ रही है। हालांकि यह पुरानी परंपरा है। इसे आत्मनिरीक्षण द्वारा आत्मशुद्धि की बहुत पुरानी साधना-विधि माना जाता है। भगवान गौतम बुद्ध ने विलुप्त हुई इस पद्धति का पुन: अनुसंधान कर इसे जीवन जीने की कला के रूप में बनाया।