पहला इंडिया ओपन सुपर सीरिज खिताब जीतने के बाद राहत महसूस कर रही बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल ने कहा कि उसके दिमाग से बड़ा बोझ उतर गया है क्योंकि यह टूर्नामेंट वह कभी नहीं जीत सकी थी।
साइना नेहवाल ने विश्व रैंकिंग में नंबर वन पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनकर इतिहास रच दिया। साइना ने नंबर वन के ताज पर तब कब्जा किया जब उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी स्पेन की कैरोलिना मारिन यहां इंडिया ओपन सुपर सीरिज सेमीफाइनल में हार गई। आधिकारिक रैंकिंग अगले सप्ताह गुरूवार को जारी होगी लेकिन मारिन की हार से साइना का नंबर एक बनना तय हो गया है।
भारत की दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। पहली बार किसी भारतीय खिलाड़ी ने यह मुकाम पाया है। ऑल इंग्लैंड बैडमिटन टूर्नामेंट के सेमी फाइनल में साइना ने चीन की सून यू को हराकर फाइनल में अपनी जगह बना ली है।
भारतीय बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल और तेजी से उभरते एच.एस. प्रणय ने क्रमश: महिला और पुरुष वर्ग में जीत दर्ज करके आल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के दूसरे दौर में प्रवेश किया।
पारदर्शिता लाने की कवायद में खेल मंत्राालय ने भारतीय ओलंपिक संघ और राष्ट्रीय खेल महासंघों के लिए अपने कामकाज के तरीकों और वित्त की आॅनलाइन जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है।
बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या के अलावा आउटलुक के अस्तित्व के इन 12 वर्षों में भारतीय समाज की दूसरी हिंसा कृषि संकट और बढ़ते शहरीकरण के प्रसंग में दिखती है। सन 2001 के पूर्ववर्ती दशक में शहरी आबादी 6.18 करोड़ बढ़ी थी जो 2001 से 2011 के बीच 9.1 करोड़ बढ़ी। ग्रामीण आबाद 2001 के पूर्ववर्ती दशक में 11.3 करोड़ बढ़ी थी लेकिन 2001 से 2011 के बीच यह सिर्फ 9.06 करोड़ बढ़ी। यानी शहरी आबादी वृद्धि दर के मुकाबले ग्रामीण आबादी वृद्धि दर कम हुई। यानी आजीविका के अभाव में या विभिन्न परियोजनाओं के चलते बड़ी संख्या में ग्रामीण आबादी उजडक़र शहरों में आई। यह तर्क दिया जा सकता है कि विकास के कारण ग्रामीण आबादी की गतिशीलता बढ़ी और वह शहरों में बेहतर अवसर तलाशने आई इसलिए इसे आपदा-पलायन नहीं कह सकते। लेकिन इस दौरान शहरों में भी संगठित रोजगार घटा यानी गांवों से शहरों में होने वाला आव्रजन आपदा-पलायन ही था। यही कृषि संकट का भी दौर रहा जब देश में बड़े पैमाने पर किसानों ने आत्महत्या की।