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Search Result : "बाल-साहितय पुरस्कार"

किशोर न्याय विधेयक की बड़ी खामियां

किशोर न्याय विधेयक की बड़ी खामियां

हमारी सरकार यह कहकर जनता का समर्थन जुटा रही है कि नया किशोर न्याय विधेयक 16 से 18 साल के उन बच्चों के लिए है जो वयस्कों की तरह जघन्य अपराध को अंजाम देते हैं लेकिन इसमें उसी पहलू को नजरअंदाज कर दिया गया है जिसके लिए यह विधेयक बनाने का सुझाव दिया गया था।
गंगा घोषित हो विश्व विरासत: पर्यावरणविद

गंगा घोषित हो विश्व विरासत: पर्यावरणविद

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ गंगा अभियान को आगे बढ़ाते हुए पर्यावरणविदों का एक समूह इस पवित्र नदी के उपरी हिस्से को विश्व विरासत घोषित करने के लिए यूनेस्को को राजी करने का प्रयास करेगा।
अक्षय तृतीया के पार है बाल विवाह का क्षय

अक्षय तृतीया के पार है बाल विवाह का क्षय

21 अप्रैल को आखा तीज यानी अक्षय तृतीया का अबूझ सावां बीत गया। अबूझ सावां मतलब हिंदु विवाह का सर्वव्यापी शुभ लग्न। कहते हैं, इस दिन विवाह के लिए मुहर्त निकालने या जन्मकुंडली मिलान की जरूरत नहीं पड़ती। अक्षय तृतीया को आरंभ विवाह का शुभ काल पीपल पून्यो यानी पीपल पूर्णिमा तक 12 दिन रहता है।
कहानी - प्रेक्षागृह

कहानी - प्रेक्षागृह

1 जनवरी 1958 को उत्तरांचल के अल्मोड़ा जिले में जन्में हरिसुमन बिष्ट हिंदी साहित्य के जानेमाने कहानीकार हैं। कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल से हिंदी में स्नातकोत्तर और आगरा विश्वविद्यालय, आगरा से पी.एच.डी की उपाधि। उनकी प्रमुख प्रकाशित रचनाओं में उपन्यास : ममता, आसमान झुक रहा है, होना पहाड़। कहानी संग्रह : सफ़ेद दाग, आग और अन्य कहानियां, मछरंगा, बिजूका। यात्रा विवरण : अंतर्यात्रा हैं। सन 1983 में उनके द्वारा संपादित पुस्तक ‘अपनी जबान में कुछ कहो' को साहित्यिक श्रेणी में सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
विश्व कप समारोह से क्यों हटाया गया मुस्तफा कमाल को

विश्व कप समारोह से क्यों हटाया गया मुस्तफा कमाल को

विश्व कप ट्रॉफी वितरण समारोह से मुस्तफा कमाल को क्यों हटाया गया? आइसीसी ने यह फैसला क्यों किया इस पर कई तरह की बातें सामने आ रह़ी हैं। आइसीसी के सूत्रों का कहना है कि मुस्तफा कमाल विश्व कप के पुरस्कार वितरण समारोह का हिस्सा थे लेकिन मैच अधिकारियों की ईमानदारी पर सवाल उठाने और अपने बयान पर बने रहने के कारण उन्हें इस समारोह से हटाया गया।
बाल विवाह विरोधी कानून मुस्लिमों पर लागू: कोर्ट

बाल विवाह विरोधी कानून मुस्लिमों पर लागू: कोर्ट

मद्रास उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में कहा है कि बाल विवाह रोकने संबंधी कानून मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ नहीं है तथा यह पर्सनल लॉ पर भी लागू होगा क्योंकि यह लड़कियों के कल्याण के लिए बनाया गया है।
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