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Search Result : "बंबई बम धमाके"

शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 291 अंक मजबूत

शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 291 अंक मजबूत

एशियाई बाजार में तेजी के रुख के बीच कारोबारियों द्वारा चुनिंदा क्षेत्र के शेयरों की खरीद बढ़ाए जाने से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स सेमवार के शुरुआती कारोबार में 291 अंक मजबूत होकर 27,302.63 अंक पर पहुंच गया।
सेंसेक्स 295 अंक कमजोर

सेंसेक्स 295 अंक कमजोर

कोषों एवं निवेशकों की ओर से माह के अंत में डेरिवेटिव सौदों के निपटान के मद्देनजर चुनिंदा शेयरों में बिकवाली बढ़ाये जाने से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स गुरुवार के शुरआती कारोबार में 295 अंक कमजोर होकर 27,000 अंक से नीचे चला गया है।
महाराष्ट्र के गोमांस कानून के प्रावधानों पर रोक से कोर्ट का इंकार

महाराष्ट्र के गोमांस कानून के प्रावधानों पर रोक से कोर्ट का इंकार

बंबई उच्च न्यायालय ने गाय, बैल और भैंस के मांस को रखने, उसे लाने-ले जाने और उसके उपभोग पर प्रतिबंध लगाने वाले महाराष्ट्र के हालिया कानून के प्रावधानों पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। इस कानून के अनुसार, इन जानवरों का वध महाराष्ट्र से बाहर करके यहां लाने पर भी प्रतिबंध प्रभावी रहेगा।
सेंसेक्स 129 अंक  मजबूत

सेंसेक्स 129 अंक मजबूत

एशियाई बाजार में तेजी के रुख के बीच कोषों एवं निवेशकों की ओर से चुनिंदा शेयरों की खरीद बढ़ाए जाने से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स सोमवार को शुरुआती कारोबार में 129 अंक मजबूत हो गया।
मुंबई बम धमाके मामले में याकूब मेमन की मौत की सजा बरकरार

मुंबई बम धमाके मामले में याकूब मेमन की मौत की सजा बरकरार

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को याकूब अब्दुल रजाक मेमन की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जिसमें उसने 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के मामले में अपनी मौत की सजा की समीक्षा करने का आग्रह किया था।
पोते-पोतियों की याचिका पर 20 अप्रैल तक जवाब देंगे सिंघानिया

पोते-पोतियों की याचिका पर 20 अप्रैल तक जवाब देंगे सिंघानिया

रेमंड लिमिटेड के मानद चेयरमैन और देश के जाने माने कारोबारी विजयपत सिंघानिया के खिलाफ उनके ही पोते-पोतियों द्वारा दायर याचिका पर बंबई उच्च न्यायालय ने सुनवाई 20 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी ताकि सभी प्रतिवादी अपना हलफनामा दायर कर सकें।
आरक्षण योग्यता पर पुनर्विचार जरूरी

आरक्षण योग्यता पर पुनर्विचार जरूरी

पिछले दो महीने में दो अलग-अलग न्यायालयों ने आरक्षण को लेकर एक ही बात कही है। दोनों ही बार कोर्ट ने आरक्षण नीति जारी रखने को उचित कहा है लेकिन यह भी कहा है कि आरक्षण नीति में बदलाव, बल्कि इस पर सतत चिंतन की जरूरत है। यह राजनीतिक तौर पर संवेदनशील मसला तो है लेकिन इस पर जो राजनीति होती रही है, उससे नीति का मकसद पूरा नहीं हो रहा है। वैसे, राजनीतिक दल इसे लेकर रोटी सेंकने की जब भी कोशिश करते हैं, उनके हाथ में फफोले ही पड़े हैं। यह तो सब जानते ही हैं कि मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने वाली वीपी सिंह सरकार लौटकर सत्ता में नहीं आई।
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