पिछले दिनों आगरा शहर और दिल्ली के कई मेट्रो स्टेशनों पर ‘23 सितंबर 2016 से ताजमहल पर्यटकों के लिए बंद’ के पोस्टर लगने के बाद सनसनी मच गई, हर कोई हैरान था कि आखिर ताजमहल दर्शकों के लिए बंद क्यों कर दिया गया है।
दुनिया की जानी मानी वाहन निर्माता कंपनी मर्सिडीज बेंज ने देश के सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह दिल्ली एनसीआर में दो हजार सीसी से अधिक क्षमता वाले डीजल वाहनों पर से पाबंदी हटाने के लिए एक प्रतिशत पर्यावरण उपकर देने के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माई गवर्नमेंट पहल की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर शनिवार को टाउन हॉल शैली में लोगों को संबोधित किया। अपने संबोधन में मोदी ने गौ रक्षा के नाम पर दुकान चलाने वालों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ऐसे लोगों को असामाजिक तत्व बताया।
सिर पर मैला ढोने वालों को इस दलदल से बाहर निकालने के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता और मैगसायसाय पुरस्कार विजेता बेजवाडा विल्सन ने रविवार को कहा कि इस जाति आधारित समस्या को दूर करने में सरकार के स्तर पर राजनीतिक इच्छाशक्ति की बहुत कमी है तथा उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्राी नरेंद्र मोदी को 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से इस काम में लगे लोगों को इससे छुुटकारा दिलाने और उनका पुनर्वास करने की समयसीमा की घोषणा करना चाहिए।
अलगाववादियों के बंद और कुछ क्षेत्रों में जारी कर्फ्यू के कारण कश्मीर घाटी में लगातार 23वें दिन भी सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा। वहीं पिछले दिनों घायल हुए एक युवक की मौत हो जाने से मृतकों की संख्या बढ़कर 49 हो गई है।
चीन ने कई ऑनलाइन समाचार पत्रों का संचालन बंद कर दिया है। इससे पहले अधिकारियों ने स्वतंत्र रिपोर्टिंग और संभवत: संवेदनशील विषयों के बारे में लेख प्रकाशित करने को लेकर उनकी आलोचना की थी।
लंबे समय से चल रही अटकलों को विराम देते हुए केंद्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने आज तत्काल प्रभाव से दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
घाटी में जारी हिंसा और तनाव के हालात के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर सरकार ने स्कूल और कॉलेजों की छुट्टियां एक सप्ताह और बढ़ा दी है। वहीं स्थानीय अखबारों के दफ्तरों पर पुलिस कार्वाई के विरोध में रविवार को भी कोई अखबार नहीं छपा।
केंद्र सरकार की नई विज्ञापन नीति की गाज छोटे-मध्यम अखबारों पर गिर रही है। अगर इनकी आवाज अनसुनी की गई तो इनका बंद होना तय है। नतीजा यह होगा कि स्थानीय-सामाजिक मुद्दे उठाने वाले इन अखबारों के दफ्तरों पर ताला जड़ जाएगा और इस कारोबार से जुड़े लाखों लोग बेरोजगारी की दहलीज पर आ जाएंगे।