हमेशा नई पीढ़ी को प्रेरणा देने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को पूरा देश सलाम कर रहा है। उनके सम्मान में तरह-तरह के अभियान शुरू हो चुके हैं। कोई महात्मा गांधी की तरह उनकी तस्वीर वाले रुपये के नोट छापने की मांग कर रहा है तो कुछ लोग औरंगजेब रोड का नाम बदलकर कलाम के नाम पर रखने की वकालत कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी याद में एक पेड़ लगाने के लिए भी एक ऑनलाइन कैंपेन शुरू किया गया है। केंद्र सरकार पहले ही राष्ट्रीय आविष्कार मिशन का नाम कलाम के नाम पर रखने का ऐलान कर चुकी है। लेकिन जिस तरह पूरे देश में मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के प्रति सम्मान की लहर दौड़ रही है, आने वाले दिनों में कलाम के नाम पर अभियानों की बाढ़ आ सकती है।
कुछ ही महीनों में होने वोले बिहार विधानसभा के चुनावों की तैयारी में लगे नीतीश कुमार को पटना हाइकोर्ट ने झटका दे दिया है। पिछले 9 जून को शुरू हुआ बढ़ चला बिहार अभियान राज्य के आगामी चुनाव से पहले नीतीश कुमार की जनता तक पहुंच बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
'बहुत हुआ जुमलों का वार, फिर एक बार नीतीश कुमार’, 'आगे बढ़ता रहे बिहार, फिर एक बार नीतीश कुमार’ कुछ ऐसे ही नारे लिखे पोस्टरों से बिहार की राजधानी पटना अटा पड़ा है। पटना की सडक़ों पर बड़े-बड़े होर्डिंग देखकर ऐसा लगता है मानों राज्य में और किसी सियासी दल का कोई वजूद नहीं है। राजनीतिक दलों के पार्टी कार्यालयों को छोड़ दें तो चौराहों या सार्वजनिक स्थलों पर दूसरे दलों के होर्डिंग न के बराबर दिखेंगे। यहां तक कि सडक़ों पर चल रहे ऑटो रिक्शा पर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुस्कुराती तस्वीरों वाले पोस्टर चिपके मिलेंगे।
राष्ट्रपति भवन में चाहे और बहुत कुछ हो मगर सफाई जरा कम है। हाल ही में जारी स्वच्छता अभियान रेटिंग में राष्ट्रपति भवन पिछड़ गया है। राष्ट्रपति भवन को हैदराबाद हाउस, विज्ञान भवन और जवाहरलाल नेहरू भवन ने पछाड़ा है।
ऐसा लगता है कि तेलगु देशम पार्टी ने तेलंगाना में कैश फॉर वोट मामले में अपने विधायक की गिरफ्तारी के बावजूद कुछ नहीं सीखा है। तभी तो पार्टी आंध्र प्रदेश में भी विधान परिषद चुनावों में भी ऐसे ही तरीके अपनाने से नहीं चूक रही है।
वह उम्र के उस पड़ाव में हैं, जहां कांपते हाथों के साथ लड़खड़ाती जुबान से लोग अपने बीते दिनों की उपलब्धियों को गिनते-गिनवाते हैं लेकिन उनका मामला अलग है। वह खुद ही पूछते हैं, बताओ मेरी उम्र कितनी है, फिर मेरे मौन को मेरी दुविधा समझकर खुद ही जवाब देते हैं, 86 साल। नहीं लगता न, अगर ये पार्किंसंस (हाथों-पैरों के स्वत: हिलने की बीमारी) न परेशान करता तो शायद बिल्कुल भी न लगता। पुष्प मित्र भार्गव (पी.एम.भार्गव) देश के आला वैज्ञानिक, बायोलॉजिस्ट हैं। उन्हें इस बात की फिक्र है कि अगर देश में जीन संवद्धित (जीएम) फसलों को मंजूरी मिल गई तो इससे किस तरह न सिर्फ पर्यावरण, खेती को नुकसान होगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को नुकसान होगा।
चंद्रबाबू नायडू का एक ऑडियो टेप सामने आने के बाद 'नोट के बदले वोट' विवाद में नया मोड़ आ गया है। नायडू समर्थकों ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव के खिलाफ अवैध फोन टैपिंग के मामले दर्ज कराने शुरू कर दिए हैं। जबकि चंद्रबाबू नायडू की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं।
इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकी और स्मार्ट फोन के इर्द-गिर्द ही सिमट चुकी है पूरी युवा आबादी। इसी आबादी के बीच ई-गवर्नेंस और ई-कॉमर्स ने गहरी पैठ बना ली है। भारत में फिलहाल 63 प्रतिशत लोगों के पास मोबाइल फोन आ गए हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में हर महीने 30 प्रतिशत मोबाइल उपभोक्ता बढ़ते जा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर देखें तो भारत स्मार्टफोन का दूसरा बड़ा बाजार बन गया है। नेटवर्किंग समाधान कंपनी सिस्को का अध्ययन बताता है कि अगले चार साल में यहां 65 करोड़ से ज्यादा स्मार्टफोन उपभोक्ता हो जाएंगे।
आयकर विभाग ने कड़े शब्दों में अपने अधिकारियों से कहा है कि कर चोरों के खिलाफ अब सिर्फ छापेमारी की कार्रवाई से काम नहीं चलेगा बल्कि उन्हें लक्ष्य करते हुए सघन तलाशी अभियान चलाया जाएगा।