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2जीः अधिकारियों के तबादले पर सीबीआई से जवाब-तलब

2जीः अधिकारियों के तबादले पर सीबीआई से जवाब-तलब

उच्चतम न्यायालय ने 2जी स्पेक्ट्रम मामलों की जांच से जुड़े दो वरिष्ठ अधिकारियों के कथित तबादले के मामले में बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो से जवाब-तलब किया।
अल्पसंख्यकों के लिए न इंसाफ न सुनवाई

अल्पसंख्यकों के लिए न इंसाफ न सुनवाई

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सम्मेलन में सरकारी रवैये से असंतोष। देश भर में अल्पसंख्यकों के हक-हकूक की जमीन तेजी से छीजती जा रही है। उनके खिलाफ जितने भी संगठित हमले, नरसंहार हुए, उसमें से इक्का-दुक्का को छोड़ कर शायद ही किसी में अदालत से न्याय मिला हो।
1984 दंगा: टाइटलर मामले की सुनवाई टली

1984 दंगा: टाइटलर मामले की सुनवाई टली

दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के सिलसिले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ मामले में दायर सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तारीख निर्धारित की।
अदालत 4 मार्च से 2जी मामले की बहस सुनेगी

अदालत 4 मार्च से 2जी मामले की बहस सुनेगी

विशेष 2जी अदालत 2002 के अतिरिक्त स्पेक्टम आवंटन मामले में अगले महीने से आरोप तय करने के लिए बहस सुनेगी। इस मामले में सीबीआई ने पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोष व तीन दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया है।
लखवी की जमानत के खिलाफ अपील पर सुनवाई स्थगित

लखवी की जमानत के खिलाफ अपील पर सुनवाई स्थगित

पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधी अदालत ने मुंबई हमलों के आरोपी जकीउर रहमान लखवी को मिली जमानत के खिलाफ सरकार की अपील पर सुनवाई एक महीने के लिए आज तब स्थगित कर दी जब उसके वकील ने दलील के लिए समय मांगा।
सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्‍नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?