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Search Result : "प्रदूषण स्तर"

दिल्ली बनी गैस चैंबर, केजरीवाल ने केन्द्र से मदद मांगी

दिल्ली बनी गैस चैंबर, केजरीवाल ने केन्द्र से मदद मांगी

राष्‍ट्रीय राजधानी में कई जगहों पर प्रदूषण का स्तर सुरक्षित सीमा से 17 गुना अधिक होने से शहर पर धुंध की एक काली चादर छाने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को एक गैस चैंबर बताया और केन्द्र से हस्तक्षेप की मांग की।
दिल्ली के प्रदूषण को केंद्र ने बताया आपात स्थिति

दिल्ली के प्रदूषण को केंद्र ने बताया आपात स्थिति

केंद्र सरकार ने आज कहा कि दिल्ली खतरनाक प्रदूषण स्तर के चलते एक आपात स्थिति का सामना कर रही है। केंद्र ने किसानों द्वारा खूंटी जलाने पर अंकुश के लिए सभी पड़ोसी राज्यों के पर्यावरण मंत्रिायों की सोमवार को एक बैठक बुलाई है।
जहरीले धुएं का अभिशाप

जहरीले धुएं का अभिशाप

दुनिया के शीर्ष देशों में गिने जाने वाले भारत की राजधानी अपने ही कर्मों से शापग्रस्त लग रही है। संस्कृति और संपन्नता के उल्लास में करोड़ों रुपयों की आतिशबाजी और सफल पड़ोसी कृषि राज्यों में खेतों की सफाई के लिए लगाई जा रही आग के धुएं से लाखों दिल्लीवासी सांस में जहरीली हवा ग्रहण कर रहे हैं।
सेंसेक्स चार माह के निचले स्तर के करीब

सेंसेक्स चार माह के निचले स्तर के करीब

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्टपति चुनाव में आगे रहने की भविष्यवाणी के बीच वैश्विक अनिश्चितता से यहां भारतीय बाजारों में भी बेचैनी है। बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स आज 97 अंक टूटकर करीब चार महीने के निचले स्तर 27,430.28 अंक पर आ गया।
पराली जलाने वालों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई

पराली जलाने वालों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई

इस समय धानकटाई का समय चल रहा है। हालांकि किसान पराली जला तो नहीं सकते हैं लेकिन पंजाब और हरियाणा में जला रहे हैं। पराली जलाने से प्रदूषण होता है, जिससे निकली जहरीली गैस पर्यावरण के साथ-साथ लोगों को भी नुकसान पहुंचाती है। सबसे अहम बात यह है कि इससे हवा में धुंए के बादल बन जाते हैं जो अस्थमा के मरीजों के लिए जानलेवा साबित होते हैं। दिल्ली की हवा में इन दिनों पसरा धुंआ दिवाली के पटाखों और पराली जलाने के परिणाम है।
आरटीई के बाद शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है : टीएसआर सुब्रमण्यम

आरटीई के बाद शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है : टीएसआर सुब्रमण्यम

पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) से प्रभावित नहीं हैं और उन्होंने कहा कि भारत ने आरटीई के बाद शिक्षा के स्तर में 25 प्रतिशत की गिरावट देखी है। सुब्रमण्यम ने कहा, आरटीई ने कई अच्छी चीजें की हैं लेकिन अब भी खामियां हैं। पहली खामी है गुणवत्ता। आरटीई मूलभूत सुविधाओं की गुणवत्ता की बात करता है लेकिन इस पर बहुत ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
प्रदूषण फैलाने वाले उत्पादों पर जीएसटी दर ज्यादा होगी: जेटली

प्रदूषण फैलाने वाले उत्पादों पर जीएसटी दर ज्यादा होगी: जेटली

भारत द्वारा पेरिस जलवायु संधि पर दस्तखत के चंद दिनों बाद शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में पर्यावरण की लिहाज से प्रतिकूल उत्पादों पर अन्य उत्पादों के मुकाबले अलग तरह का कर लगाया जाएगा। ऐसा कर जलवायु परिवर्तन से बचाव आदि से जुड़े कामों के लिए अधिक कोष जुटाया जाएगा।
पटाखों के प्रदूषण की जिम्मेदारी

पटाखों के प्रदूषण की जिम्मेदारी

भारत ने पर्यावरण संरक्षण की अंतरराष्ट्रीय संधि के लिए अपनी स्वीकृति दे दी। निश्चित रूप से भारत में हजारों वर्षों से प्रकृति की देन वन, जल, वायु के प्रति गहरा सम्मान रहा है और उनसे जुड़े देवताओं के नाम लेकर पेड़-पौधे, नदी, पवन की धार्मिक दृष्टि से पूजा-अर्चना होती रही है। लेकिन सरकार और समाज घातक वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार आतिशबाजी के बढ़ते उपयोग को निरंतर अनदेखा कर रहे हैं।
वित्तीय बाजार 2008 के बाद नीति नियामकों के काबू से बाहर निकल गए: सेबी प्रमुख

वित्तीय बाजार 2008 के बाद नीति नियामकों के काबू से बाहर निकल गए: सेबी प्रमुख

वैश्विक स्तर पर वित्तीय बाजार नियामकों के बीच बेहतर संयोजन पर जोर देते हुए भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन यू के सिन्हा ने आज कहा कि 2008 के ऋण संकट के बाद दुनिया में गैर परंपरागत मौद्रिक नीतियों से बाजार नीति निर्माताओं के नियंत्रण से बाहर हो गए हैं।
वायु प्रदूषण के कारण हर 23 सेकंड में एक जान जा रही है- रिपोर्ट

वायु प्रदूषण के कारण हर 23 सेकंड में एक जान जा रही है- रिपोर्ट

हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसका भविष्य भयावह है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाल ही में दिये गये आंकड़े बताते हैं कि वायु प्रदूषण के कारण भारत में 1.4 मिलियन लोग असामयिक मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं, यानि यह हर 23 सेकंड में एक जान ले रहा है। जिस ईंधन का प्रयोग आज हम करते हैं वह 2030 आने तक प्रदूषकों से हवा को इतना जहरीला बना देगा कि आॅक्सीजन किट के बिना जीना और चलना-फिरना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।
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