चाय बागान मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ने का संकल्प जताते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाय पर चर्चा तो करते हैं लेकिन उन चाय उत्पादक मजदूरों के बारे में ना तो बात करते हैं और ना ही उन पर ध्यान देते हैं जो गरीबी में किसी तरह जीवन-बसर करते हैं।
गोहत्या की अफवाह पर पेट्रोल बम के हमले में मारे गए जाहिद की मौत के बाद से अनंतनाग में प्रदर्शन और झड़प का सिलसिला जारी है। इसी बीच पुलिस ने आज इलाके में कर्फ्यू लगा दिया है।
पाकिस्तानी हस्तियों के खिलाफ अपनी मुहिम को जारी रखते हुए शिवसेना कार्यकर्ताओं ने आज द्विपक्षीय क्रिकेट की बहाली के लिये पीसीबी प्रमुख शहरयार खान के साथ प्रस्तावित बातचीत के विरोध में यहां भारतीय क्रिकेट बोर्ड के मुख्यालय में घुसकर प्रदर्शन किया।
दादरी कांड से गुस्साए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मसले पर अपनी चुप्पी तोड़ने को कह रहे मुस्लिम समुदाय के लोग आज जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शन में न केवल दादरी कांड बल्कि पूरे देश में सांप्रदायिक हिंसा में मारे जा रहे मुसलमानों के लिए न्याय की मांग की जाएगी। गौरतलब है कि बीते दिनों दादरी के गांव बिसहड़ा में 50 वर्षीय अखलाक अहमद के घर में गोमांस होने की अफवाह फैलाई गई। जिसके बाद उग्र हिंदू चरमपंथियों की भीड़ ने अखलाक की पीट-पीट कर हत्या कर दी।
पाटीदार और सिख समुदाय के लोगों और उनके समर्थकों ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री का उस समय संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में सतत विकास पर संबोधन हो रहा था।
नेपाल में सात वर्षों की सियासी कशमकश के बाद तैयार एेतिहासिक संविधान लागू हो गया है। इसके साथ ही नेपाल एक हिंदू राजशाही से पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणतंत्र में परिवर्तित हो गया। लेकिन इसका विरोध करते हुए मधेसी समूह कई जगह हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं जिसमें एक व्यक्ति के मारे जाने और दर्जनों लोगों के घायल होने की खबर है। स्थिति पर काबू पाने के लिए 14 जिलों में कर्फ्यू लगाया गया है।
2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म मुजफ्फरनगर बाकी है काफी चर्चा में रही है। यह फिल्म दंगे के दौरान के हालात और वहां के स्थानीय लोगों की भावनाओं का बखूबी इजहार करती है। फिल्म के जरिये उन तत्वों की तरफ इशारा किया गया है जो मुजफ्फरनगर के हालात के जिम्मेदार हैं। यही वजह है कि इस फिल्म का प्रदर्शन कई संगठनों के गले नहीं उतर रहा है। कई बार फिल्म के प्रदर्शन को बलपूर्वक रोकने की कोशिश की गई। ऐसे ही दमनकारी आक्रमणों के प्रतिरोध में फिल्म की टीम और अन्य कई संगठनों ने मिलकर एक ही दिन पूरे देश में फिल्म का प्रदर्शन किया।