एक तरफ महाराष्ट्र लगातार सूखे से जूझ रहा है, दूसरी तरफ ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट ‘द ग्रेट वाटर ग्रैब-हाउ द कोल इंडस्ट्री इज डिपनिंग द ग्लोबल वाटर क्राइसिस’ में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि अकेले महाराष्ट्र में कोयला पावर प्लांट्स इतनी अधिक मात्रा में पानी का खपत करता है जो हर साल लगभग सवा करोड़ लोगों के लिये पर्याप्त है।
उच्चतम न्यायालय ने आईपीएल मैचों को सूखा प्रभावित महाराष्ट्र से बाहर आयोजित करवाने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र एवं मुंबई क्रिकेट संघों की याचिकाओं को आज खारिज कर दिया।
छत्तीसगढ़ राज्य के जल संसाधन विभाग के आकड़ों के मुताबिक राज्य के वृहद और मध्यम सिंचाई जलाशयों में कुल 21 हजार 887 घनमीटर पानी उपलब्ध है, जो कुल इस्तेमाल योग्य जल संग्रहण क्षमता का 35 फीसदी है। यह आंकड़े किसी को भी डरा सकते हैं।
देश के कई राज्यों के जल संकट से जूझने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि पानी के संबंध में संवेदनशीलता जरूरी है क्योंकि शुद्ध पीने का पानी जीडीपी वृद्धि का कारण बन जाता है और इस दृष्टि से वर्षा का पानी, गांव का पानी, गांव में रोकने के लिए सामूहिक प्रयत्न करने की जरूरत है।
देश पानी के भीषण संकट से गुजर रहा है। मराठवाड़ा के हालात पर हर दिन चर्चा हो रही है। सुरक्षा बल के साथ वहां पानी की ट्रेन भेजी गई और कई लोग पूरे दिन में सिर्फ एक गिलास पानी पर रहने को मजबूर हैं। उत्तर प्रदेश में पानी हर साल संकट और तबाही का कारण बनता रहा है। किसी साल बाढ़ तो किसी साल सूखे की त्रासदी झेलने को मजबूर उार प्रदेश में गर्मी का मौसम शुरू होते ही 50 जिले सूखे की चपेट में आ गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले दो दशकों में कभी भी मार्च के अंत और अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में ऐसे विकराल रूप में सूखा नहीं पड़ा। उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त की मानें तो राज्य के पचास जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है। ऐसे 21 जिले हैं जिसमें किसानों को 33 प्रतिशत फसल का नुकसान हुआ है। जहां तक सूखा पीड़ित क्षेत्रों के किसानों को सरकारी मदद का सवाल है, यह मदद उन्हीं किसानों को दी जाएगी जिनकी 33 प्रतिशत से अधिक फसल नष्ट हुई है। अभी मई और जून की भीषण गर्मी के दिनों में और भी जिलों के सूखा प्रभावित होने आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। पूर्वी उत्तर प्रदेश के चार मंडलों के बीच जिलों में पानी के स्रोत सूख चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार सबसे खतरनाक स्थिति भूगर्भ जल स्तर के औसतन छह से नौ फुट तक नीचे जाने के कारण उत्पन्न हुई है। इन जिलों के डेढ़ हजार से अधिक कुओं का जलस्तर न्यूनतम होने के कारण कुएं सूख गए हैं। 80 प्रतिशत से अधिक हैंडपंप सूख चुके हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि जनवरी में लागू की गई सम-विषम योजना से प्रदूषण उम्मीद के अनुरूप कम नहीं हुआ था लेकिन इससे शहर में यातायात जाम को कम करने में उल्लेखनीय मदद मिली थी। सर्वोदय बालिका विद्यालय की एक छात्रा के सवाल का जवाब देते हुए केजरीवाल ने कहा, सम-विषम योजना से प्रदूषण कम हुआ था लेकिन उतना नहीं जितने की हमने उम्मीद की थी। हालांकि इससे यातायात जाम में उल्लेखनीय कमी आई थी। सड़कें खाली थीं और लोगों ने इसे बहुत पसंद किया।
राज्य में सूखे की भयावहता के बीच आईपीएल मैचों के आयोजन पर बंबई हाईकोर्ट की नाराजगी को देखते हुए बीसीसीआई ने आज कहा कि पानी के बेजा इस्तेमाल से बचने के लिए वह पिचों के रख-रखाव के लिए सीवेज का साफ किया हुआ पानी खरीद कर इस्तेमाल करेगा।