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Search Result : "पाकिस्तानी फिल्म"

कड़ी सुरक्षा के बीच एमएसजी रिलीज

कड़ी सुरक्षा के बीच एमएसजी रिलीज

लाख विव‌ादों के बाद आखिरकार डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम की फिल्म मैसेंजर ऑफ गॉड (एमएसजी) रिलीज हो गई है। कई सिख संगठन इसका विरोध कर रहे हैं।
मराठी फिल्म में बोल्डनेस

मराठी फिल्म में बोल्डनेस

मराठी फिल्मों में भी अब बोल्डनेस आ रही है। आने वाली फिल्म ‘चित्रफित 3.0 मेगापिक्सल में इस बात को देखा जा सकता है।
निर्माता बन गई अनुष्का शर्मा

निर्माता बन गई अनुष्का शर्मा

बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा अब फिल्म निर्माण के क्षेत्र में हाथ आजमाते हुए चर्चा में आई हैं। उन्होंने फिल्म ‘एनएच10’ में पहली बार सह-निर्माता का दायित्व संभाला है।
अब रनबीर करेंगे 'तमाशा'

अब रनबीर करेंगे 'तमाशा'

हर किसी की तरक्की में किसी न किसी शख्स का योगदान रहता है। बॉलीवुड के ‘रॉकस्टार’ रनबीर कपूर की तरक्की में निर्देशक इम्तियाज अली और गीतकार इरशाद कामिल का योगदान है।
अमिताभ की षमिताभ

अमिताभ की षमिताभ

निर्देशक आर. बाल्की ‘पा’ और ‘चीनी कम’ के बाद अमिताभ बच्चन के साथ तीसरी फिल्म षमिताभ लेकर आए हैं। उनकी यह फिल्म पिछली दोनों फिल्मों से बिल्कुल अलग है।
बदनाम हुए तो क्या, दाम मिलेगा

बदनाम हुए तो क्या, दाम मिलेगा

पीके फिल्म के नाम पर जितनी चिल्ला चोट हो सकती है हो रही है। बैनर-पोस्टर आग के हवाले किए जा रहे हैं। टेलीविजन चैनल पर बहस का बाजार गरम है। यह फिल्म के विषय पर बहस न होकर केसरिया-हरे की बहस हो कर रह गई है।
शांति के पासे फेंकने की जरूरत

शांति के पासे फेंकने की जरूरत

निर्मला देशपांडे की पाकिस्तान में बरसी से उठी ये सदाएं मनमोहन सिंह पहुंची या यह उनकी अंत: प्रेरणा थी अथवा अमेरिकी उत्प्रेरणा, जैसा कि कुछ लोग विश्‍वास करना चाहते हैं, शर्म अल शेख के संयुक्त वक्तव्य में ब्लूचिस्तान के जिक्र के लिए राजी होकर और भारत-पाक समग्र वार्ता के लिए भारत में आतंकवादी हमले रोकने की पूर्व शर्त को ढीला करके भारतीय प्रधानमंत्री ने शांति के लिए एक जुआ खेला है। मुंबई हमले के बाद दबाव की कूटनीति से भारत को जो हासिल होना था वह हो चुका और पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकतंत्र के खिलाफ अपेक्षया गंभीर कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ा। दबाव की कूटनीति की एक सीमा होती है और विनाशकारी परमाणु युद्ध कोई विकल्प नहीं हैं। इसलिए वार्ता की कूटनीति के लिए जमीन तैयार करने की जरूरत थी। ब्लूचिस्तान के जिक्र को भी थोड़ा अलग ढंग से देखना चाहिए।