प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश में 100 स्मार्ट शहर बनाने के सपने को साकार करने की दिशा में केंद्र सरकार ने कदम बढ़ाया है। स्मार्ट सिटी योजना में शामिल 98 शहरों की सूची जारी की गई है। इस सूची में उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा 13 शहरों को जगह मिली है लेकिन पटना, शिमला, मुंबई, बेंगलूरु, कोलकाता, त्रिवेंद्रम समेत 9 राज्यों की राजधानियों को बाहर रखा गया है। कई प्रमुख शहरों का योजना में शामिल नहीं होना बड़ा मुद्दा बना सकता है।
आई, मी, माईसेल्फ...सब बोरिंग है।
अस एंड वी...इन्ट्रस्टिंग है...
इंटरनेट है तो फ्रेंडशिप है...
फ्रेंडशिप है तो शेयरिंग है...
जो मेरा है वो तेरा...
जो तेरा है वो मेरा है...
पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम उल्लंघन के मुद्दे पर आज विदेश मंत्रालय ने पाक उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया। लेकिन बासित ने उल्टे सीजफायर उल्लंघन के लिए भारत को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है।
देश में पर्यावरण गंभीर खतरे में है। जन-जंगल-जमीन इस तरह प्रदूषित हो गया है कि साफ हवा और साफ पानी के लाले पड़े हुए हैं। ऐसे में पहले से लचर पर्यावरण कानूनों को मजबूत बनाने के बजाय केंद्र सरकार पर्यावरण कानूनों की समीक्षा के नाम पर पर्यावरण और लोगों के अधिकारों को रहन रखने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए पर्यावरण शब्द का मतलब निवेश का पर्यावरण बन गया है।
वित्त मंत्रालय ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के भाई अरुण पी. साठे को पूंजी बाजार नियामक सेबी के निदेशक मंडल में अंशकालिक सदस्य नियुक्त किए जाने का आज बचाव किया और कहा कि वे इसके योग्य हैं और काफी ईमानदार हैं।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक, सरकार ऐसी योजना लाने की तैयारी कर रही है जिसके तहत पुराने वाहन लौटाने पर डेढ़ लाख रुपये तक का प्रोत्साहन दिया जाएगा।
यह 21वीं सदी का नमक सत्याग्रह है जिस पर महात्मा गांधी को भी गर्व होता। भारत ने आयोडिन युक्त नमक उत्पादन को लेकर एक दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनी के खिलाफ पेटेंट की लड़ाई जीत ली है। नमक को लेकर यह लड़ाई भावनगर की एक सरकारी प्रयोगशाला ने जीती और दैनिक उपभोग के आयोडिन युक्त नमक बनाने के पेटेंट का नियंत्रण बहाल कर लिया। इस लड़ाई में बहुराष्ट्रीय कंपनी हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) को मात मिली।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के स्वरों को पर्याप्त जगह देना ही नहीं बल्कि इन स्वरों का संरक्षण देना भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है। मगर ऐसा लगता है कि हमारी केंद्र सरकार असहमति की छोटी से छोटी आवाज भी नहीं सुनना चाहती। तभी तो उसने देश के तीन बड़े समाचार चैनलों को याकूब मेमन की फांसी के कवरेज पर नोटिस जारी कर दिया है।