गर्मियों में आंतरिक सौंदर्य बनाए रखने के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी की उपलब्धता बनाए रखना जरूरी है। गर्मियों में तापमान की वजह से शरीर में से काफी मात्रा में तरल पदार्थ कम हो जाते हैं। इनकी शरीर में बराबर उपलब्धता बनाए रखने के लिए कम से कम 6 से 8 गिलास पानी पीना चाहिए। गर्मियों में अत्याधिक पसीने से शरीर में तरल पदार्थो की कमी हो जाती है।
एक ओर जहां देश में मानसून के आगमन को लेकर मौसम विभाग ने दावा किया है कि केरल के तट पर इसका आगमन एक सप्ताह लेट से होगा वहीं देश का बड़ा हिस्सा भयंकर गर्मी की चपेट में आ गया है। कई इलाकों में पारा 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है।
भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में सरकार के गठन पर अनिश्चितता के लिए अपनी सहयोगी पीडीपी के अड़ियल रूख को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि वह गठबंधन के न्यूनतम साझा कार्यक्रम के प्रति वचनबद्ध है।
सातवें वेतन आयोग ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में 23.55 प्रतिशत वृद्धि की सिफारिश की गई है। सरकार इन सिफारिशों पर अमल करे केंद्रीय कर्मचारियों के मूल वेतन में 16 प्रतिशत, भत्तों में 63 प्रतिशत और पेंशन में 24 प्रतिशत वृद्धि हो जाएगी।
मध्य प्रदेश में किसी किसान की जमीन जबर्दस्ती लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हम जानते हैं कि किसान और खेती के बिना हमारा राज्य विकास नहीं कर सकता है। किसान हमारी पहली प्राथमिकता है। आउटलुक से बातचीत के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह जोर देकर यह कहा कि केंद्र के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के तहत उनके राज्य में किसानों के साथ कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं की जाएगी, उससे साफ था कि वह किसानों के हिमायती राष्ट्रीय नेता के तौर पर खुद को स्थापित करने की तैयारी में हैं।
राजधानी दिल्ली समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में भीषण गर्मी और लू का कहर जारी है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में शनिवार से तेज लू और गर्मी के कारण कम से कम 145 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही देश भर में अब तक लू की चपेट में आकर 400 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
सरकार द्वारा विधि आयोग के चेयरमैन ए पी शाह की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति के गठन की घोषणा के बाद वित्त मंत्रालय ने विदेशी निवेशकों से न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) की वसूली के लिए जोर जबर्दस्ती नहीं करने का फैसला किया है।
बच्चों को शिक्षा के लिए सदमे और डर से मुक्त माहौल देने के लिए शारीरिक दंड एवं वार्षिक परीक्षा आधारित पास-फेल की प्रणाली खत्म कर दी जा रही है। इसके बदले निरंतर मूल्यांकन की व्यवस्था की गई है। विधेयक में सभी विद्यालयों के पाठ्याचार को संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप ढालने का प्रावधान किया है। इससे कुछ संस्थाओं, संगठनों के स्कूलों में सांप्रदायिक और इस तरह के अन्य एजेंडे को सीमित करने मे मदद मिलेगी।