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Search Result : "न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर"

खतरनाक प्रदूषण दिल्लीवासियों के लिए मौत की सजा की तरह: उच्च न्यायालय

खतरनाक प्रदूषण दिल्लीवासियों के लिए मौत की सजा की तरह: उच्च न्यायालय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पंजाब में सरकार की निष्क्रियता और पराली जलाने के चलन को नरसंहार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए आज कहा कि भयानक प्रदूषण स्तर दिल्लीवासियों के लिए वस्तुत: मौत की सजा है जिसकी वजह से उनके जीवन के तीन साल कम किए जा रहे हैं।
वायु प्रदूषण पर एनजीटी सख्त, दिया निगरानी समिति बनाने का निर्देश

वायु प्रदूषण पर एनजीटी सख्त, दिया निगरानी समिति बनाने का निर्देश

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने वायु प्रदूषण पर सख्त रुख अपनाते हुए आज कई निर्देश पारित किए जिनमें केंद्रीय और राज्य स्तर पर निगरानी समितियों का गठन करना भी शामिल है। न्यायाधिकरण ने उत्तर भारत के चार राज्यों से कहा कि पुराने डीजल वाहनों को प्रतिबंधित करने पर विचार करें ताकि पर्यावरणीय आपातकाल से निपटा जा सके।
उत्तर प्रदेशः प्रदूषण पर उच्च न्यायालय सख्त

उत्तर प्रदेशः प्रदूषण पर उच्च न्यायालय सख्त

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इन दिनों लखनऊ समेत प्रदेश के कई शहरों में छाई स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक धुंध और प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर नाराजगी जाहिर करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को स्थिति से निपटने के लिये फौरी कदम उठाने के आदेश दिए हैं। उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ के न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साही और न्यायमूर्ति अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कल लखनउ समेत प्रदेश के कई इलाकों में छायी धुंध के मामले में दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
उपहार सिनेमाघर की सील हटवाने के लिए अंसल बंधु पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

उपहार सिनेमाघर की सील हटवाने के लिए अंसल बंधु पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

रियल एस्टेट कारोबारी अंसल बंधुओं ने 1997 में हुए अग्निकांड के बाद से सीलबंद उपहार सिनेमाघर की सील हटवाने के लिए आज उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
सिख विरोधी दंगों के 32 साल : विशेषज्ञ, सिख फोरम ने न्याय की मांग की

सिख विरोधी दंगों के 32 साल : विशेषज्ञ, सिख फोरम ने न्याय की मांग की

वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों की 32वीं बरसी पर राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल देव सिंह ने कहा है कि कर्तव्य की उपेक्षा करने वाले और दंगाइयों पर आंखें बंद कर लेने वाले सरकारी अधिकारियों को हिंसा में सहायता करने वाला घोषित किया जाना चाहिए।
पीएम मोदी के सामने केजरीवाल का आरोप, जजों के फोन हो रहे हैं टेप

पीएम मोदी के सामने केजरीवाल का आरोप, जजों के फोन हो रहे हैं टेप

दिल्ली हाई कोर्ट की 50वीं सालगिरह के मौके पर विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि न्याय की प्रक्रिया में उपेक्षितों और दलितों की भागीदारी होना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि दबे कुचले लोगों को सिस्टम में लाना ही होगा। दिल्ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मौके पर जजों की फोन टैपिंग का मसला उठा कर विवाद खड़ा कर दिया, तो सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने भी पीएम की मौजूदगी में केंद्र पर निशाना साधते हुए जजों की नियुक्ति में हो रही देरी का मसला एक बार फिर उठाया।
न्यायिक नैतिकता के साथ समझौता नहीं होना चाहिए: प्रधान न्यायाधीश

न्यायिक नैतिकता के साथ समझौता नहीं होना चाहिए: प्रधान न्यायाधीश

देश के प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने आज कहा कि न्यायिक नैतिकता के साथ कभी भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि असामान्य घटनाओं से पूरी न्याय प्रणाली की छवि खराब हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने न्यायाधीशों से कहा कि उन्हें उनकी सत्यनिष्ठा के बारे में लोगों की धारणा के बारे में आत्मचिंतन करना चाहिए।
सरकार सबसे बड़ी वादी, न्यायपालिका पर बोझ कम करने की जरूरत: मोदी

सरकार सबसे बड़ी वादी, न्यायपालिका पर बोझ कम करने की जरूरत: मोदी

सरकार को सबसे बड़ा वादी बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि न्यायपालिका का बोझ कम करने की जरूरत है क्योंकि उसका अधिकांश समय ऐसे मामलों की सुनवाई करने में लग जाता है जिनमें सरकार एक पक्ष होती है। प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर अखिल भारतीय न्यायिक सेवा स्थापित करने की भी वकालत की।
कोर्ट का कड़ा रुख, जजों की निुयक्ति को अहं का मुद्दा ना बनाए मोदी सरकार

कोर्ट का कड़ा रुख, जजों की निुयक्ति को अहं का मुद्दा ना बनाए मोदी सरकार

हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट आमने-सामने आ गए हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। उच्चतम न्यायालय ने कोलेजियम की सिफारिशों के बावजूद उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं किये जाने पर शुक्रवार को नाराजगी व्यक्त करते हुये सरकार से कहा कि आप :न्यायपालिका के: पूरे संस्थान को काम करने से पूरी तरह से नहीं रोक सकते।
सरदारपुरा दंगा: हाई कोर्ट ने 17 की उम्रकैद की सजा रखी बरकरार, 14 को किया बरी

सरदारपुरा दंगा: हाई कोर्ट ने 17 की उम्रकैद की सजा रखी बरकरार, 14 को किया बरी

गुजरात उच्च न्यायालय ने आज 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए सरदारपुरा नरसंहार मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए 31 लोगों में से 17 की उम्रकैद की सजा बरकरार रखते हुए 14 को बरी कर दिया। सरदारपुरा के दंगा कांड में 33 लोगों को जिंदा जला दिया गया था।
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