प्रमुख वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन के जाने से भारत की वित्तीय साख पर किसी तरह की आंच आने की आशंकाओं को खारिज किया है।
भारतीय मजदूर संघ ने अतंरराष्ट्रीय लेबर कॉन्फ्रेंस में भारत सरकार के श्रमिक विरोधी रवैये की कड़ी आलोचना की है। गौरतलब है कि (बीएमएस) को वर्तमान सरकार समर्थक श्रमिक यूनियन माना जाता है क्योंकि इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ही खड़ा किया है।
नरेंद्र मोदी सरकार के दो साल पूरे होने का जश्न शेयर बाजार में भी देखने को मिल रहा है। लगातार चौथे दिन देश के शेयर बाजार तेजी के साथ बंद हुए। बंबई स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी इस वर्ष की ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। काफी समय तक तय दायरे में रहने के बाद बाजार में तेजी आई है। सेंसेक्स ने लंबे समय बाद 26 हजार के स्तर और निफ्टी आठ हजार के स्तर को पार कर गया है। पिछले चार सत्रों में सेंसेक्स में 1400 अंकों की तेजी आई है।
भारत में मौद्रिक नीति निर्माण की अपनी जिम्मेदारी को मजेदार और आसान बताते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि जटिलता वहां से शुरू होती हैं जब नीति को राजनीतिक रूप से स्वीकार्य बनाने की बात आती है और इसके लिए थोड़ी चतुराई की जरूरत होती है।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आगामी वित्त वर्ष में त्वरित वृद्धि के लिए ढांचागत सुधारों को जारी रखने का संकल्प लेते हुए आज कहा कि भारत में 8-9 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने की क्षमता है तथा उंची वृद्धि दर से ही गरीबी मिट सकती है। उन्होंने संकेत दिया कि आगामी बजट में लोकलुभावन नीतियों के बजाय ढांचागत सुधारों पर ध्यान दिया जाएगा।
केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किसानों की मदद के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। फसलों को हुए नुकसान के सर्वे की रस्म अदायगी भी जारी है। लेकिन मेहनत की कमाई लुटा चुके किसानों के हाथ से मुआवजा अभी दूर है। दरअसल, फसलों के बीमा और मुआवजे की प्रक्रिया में इतने झोल हैं कि किसान तक सिर्फ आश्वासन ही पहुंच पाते हैं।
सरकार द्वारा वृद्धि को प्रोत्साहित करने और राजकोषीय एवं आपूर्ति पक्ष की मुश्किलें दूर करने से जुड़ी पहलों से भारत की साख का निर्धारण तय होगा। यह बात बुधवार को रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कही।
यूपीए सरकार के दौरान पत्रकारों और कॉरपोरेट लॉबी की सांठगांठ का खुलासा वाली घटना के बाद एनडीए सरकार में इस तरह की यह पहली घटना है जिसमें बड़ी-बड़ी कंपनियों, पत्रकारों और नौकरशाहों की संलिप्तता सामने आई है।
अब दिल्ली दूर अस्त नहीं। आम आदमी पार्टी की दिल्ली फतह का अंजाम क्या होगा? इसका कितना असर पड़ेगा देश की सियासत पर, आर्थिक नीतियों के तौर-तरीकों पर शासन की नीति पर ? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली केंद्रीय बजट को अंतिम रूप देने से पहले दिल्ली विधानसभा चुनावों से निकले आम आदमी के जिन्न से प्रभावित होंगे ?