सऊदी अरब में पहली बार एक महिला ने नगर परिषद चुनाव में जीत हासिल कर इतिहास रच दिया। सलमा बिन हिजब अल ओतीबी ने मक्का में मदरका की नगर निगम परिषद का चुनाव जीत कर अत्यंत रूढ़िवादी सऊदी अरब की पहली निर्वाचित महिला प्रतिनिधि बनने का गौरव हासिल किया है। यह पहला मौका है जब सऊदी में महिलाओं को मतदान करने और चुनाव लड़ने का अधिकार मिला। मताधिकार मिलने से उत्साहित सऊदी की महिलाओं के लिए नतीजे भी बेहद उत्साहजनक आए हैं।
फेसबुक के संस्थापक जुकरबर्ग के बाद अब गूगल गूगल प्रमुख सुंदर पिचई भी मुस्लिमों के समर्थन में उतर आए हैं। शनिवार को अपने एक ब्लॉग के जरिये उन्होंने कहा कि हमें अमेरिका और विश्व में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों का समर्थन करना चाहिए।
राहुल गांधी द्वारा कथित तौर पर खुद को ब्रिटिश नागरिक बताए जाने के आरोप के मामले में सीबीआई जांच की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को आज उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश जारी करते हुए दो हफ्तों के भीतर डांस बारों को लाइसेंस जारी करने को कहा है। अपने निर्देश में शीर्ष अदालत ने कहा कि जिन 60 लोगों ने लाइसेंस के लिए अर्जी दी है उनका निपटारा दो हफ्ते में करें।
आधार कार्ड अनिवार्य करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसला देते हुए आधार कार्ड की अनिवार्यता पर रोक के अपने पहले के फैसले को बरकरार रखा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चंडीगढ़ दौरा विवादों में घिरा गया है। मिली जानकारी के अनुसार, पीएम की यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर लोगों को अंतिम संस्कार तक से वंचित रखा गया। शहर का प्रमुख शमशान घाट बंद करा दिया गया। इस दौरान ब्रिगेडियर देवेंद्र सिंह को उनके बेटे का अंतिम संस्कार भी नहीं करने दिया गया, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चड़ीगढ़ के नागरिकों से खेद व्यक्त करना पड़ा।
असहिष्णुता, सामाजिक जीवन के किसी एक क्षेत्र में एकांत में ही नहीं फलती-फूलती बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समांतर रूप से फैलती है। महाराष्ट्र में सत्ता में बैठी भाजपा के बहुमत वाली सरकार ने कुछ महीनों पहले बीफ बेचने और खाने पर प्रतिबंध लगाया था। इस फैसले ने मीट उद्योग से जुड़े कामगारों के सामने रोजगार का संकट पैदा कर दिया। मुंबई के सबसे बड़े देवनार बूचड़खाने के कामगार बेरोजगारी की मार से छटपटा रहे हैं।
आजादी के 68 साल के जश्न के बीच आजादी का अहसास किन-किन बंद तालों से आज भी टकरा रहा है, इसकी पड़ताल की जरूरत बेहद शिद्दत से महसूस की जा रही है। ये ताले जब कानूनों के हों तो फिर आजादी की तड़प बंद पिंजरे में फडफ़ड़ाती है।