रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि ब्राजीलियाई विमान निर्माता एम्ब्रेयर महज इसलिए भारतीय कानूनों से नहीं बच सकता है कि उसने भारत एवं तीन अन्य देशों को विमानों की बिक्री में भ्रष्टाचार को लेकर अमेरिकी अधिकारियों से एक करार कर रखा है।
नई दिल्ली में पहला 4 दिनी राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव होने जा रहा है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस जनजातीय मेले में पूरे देश से लगभग 1600 जनजातीय कलाकारों और 8000 जनजातीय प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वनों के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन वहां रहने वाले आदिवासियों की कीमत पर नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने उन लोगों के अधिकार छीनने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी।
मुसलमानों के बीच एक साथ तीन तलाक की व्यवस्था को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा खारिज किए जाने के एक दिन बाद आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि समुदाय को तीन तलाक के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए।
उत्तरी दिल्ली के नया बाजार इलाके में हुई विस्फोट की घटना में पुलिस ने किसी आतंकी पहलू की आशंका से इनकार किया है। सोमवार को पटाखों में हुए धमाके में एक व्यक्ति की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी एल पूनिया ने मोदी सरकार में दलितों पर अत्याचार के मामले बढ़ने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि भाजपा का दलित प्रेम सिर्फ दिखावा है क्योंकि यह पार्टी दलित समुदाय से जुड़े असली मुद्दों पर आंख मूंद लेती है।
समान नागरिक संहिता का विरोध करते हुए द्रमुक ने आज आरोप लगाया कि मोदी सरकार इस मुद्दे को उठाकर कई समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाने का प्रयास कर रही है। पार्टी ने कहा कि वह अल्पसंख्यकों को संविधान के तहत मिले अधिकारों को छीनने नहीं देगी।
आरएसएस से जुड़े संगठन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की मंशा है कि स्कूलों में उच्च शिक्षा तक मातृ भाषा में ही बच्चों को सभी निर्देश दिए जाएं। न्यास ने नई शिक्षा नीति की सिफारिश में इस तरह की इच्छा व्यक्त की है। सिफारिश मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजी गई है। संगठन चाहता है कि जल्द लागू होने वाली नई शिक्षा नीति में उसकी सिफारिशों पर गौर करते हुए अंग्रेजी की जगह मातृ भाषा को बढ़ावा जाए।
अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश, चाइनीज, जर्मन जैसी हर भाषा के अच्छे ज्ञान का सदैव स्वागत होना चाहिए। लेकिन भारत जैसे देश में अंग्रेजी की अनिवार्यता राजनीतिक मजबूरियों और ब्रिटिश विरासत में मिले बाबुई तंत्र के कारण 70 वर्षों में समाप्त नहीं हो सकी।