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Search Result : "दूसरा दौर"

‌ चुनाव से पहले आरोपों, अफवाहों और हमलों का दौर

‌ चुनाव से पहले आरोपों, अफवाहों और हमलों का दौर

जैसे-जैसे दिल्ली विधानसभा चुनावों की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे आरोपों-प्रत्यारोपों और खींचतान का सिलसिला बढ़ रहा है। इस महीने के मध्य तक तय हो जाएगा क‌ि दिल्ली की सत्ता पर कौन काबिज रहेगा। कमल, झाड़ू या हाथ। हालांकि मुख्य मुकाबले में कमल और झाड़ू ही हैं।
सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्‍नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?