सांस लेने संबंधी दिक्कत से जूझ रहे अभिनेता दिलीप कुमार की सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है लेकिन डॉक्टरों के अनुसार उन्हें कुछ दिन और अस्पताल में रहना होगा।
देश की करीब 70 प्रतिशत आबादी गांव में निवास करती है और छोटी छोटी बीमारियों के उपचार के लिए लोगों को कर्ई कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। गांव देहात में स्वास्थ्य केंद्रों एवं डॉक्टरों की भारी कमी है, वहीं देश में मधुमेह, टीबी से प्रभावित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। ऐसे में पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य केंद्रों का व्यवस्थित नेटवर्क बनाने, पर्याप्त कोष देने एवं डॉक्टरों की तैनाती सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की पत्नी कमला आडवाणी का दिल का दौरा पड़ने के बाद आज दिल्ली में निधन हो गया। परिवार के सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
हृदय रोग ने हमारे देश में एक महामारी का रूप ले लिया है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार सन् 2020 में एक तिहाई मौत का कारण हार्टअटैक पाया गया है। विडम्बना यह है कि इस बीमारी से होने वाली अधिकतर मौतों को रोका जा सकता है, अगर लक्षणों को पहचान कर सही वक्त पर इलाज कर किया जाये।
ग्लोबोकैन ने खुलासा किया है कि दुनियाभर में लगातार तेजी से कैंसर के नए मामलों में इजाफा हो रहा है। ग्लोबोकैन का कहना है कि 2008 में प्रकाशित हुए आंकड़ों की तुलना में 7.05 फीसदी नए मामलों में वृद्धि हुई है। भारत में बढते कैंसर के मामले चिंता का विषय है। कैंसर के मुख्यतः कारक वायु व जल प्रदूषण, कीटनाशक, जीवनशैली, डाइट, तंबाकू, शराब और पान मसाला है। दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मृत्यु के बाद देश में कैंसर से मौत शीर्ष कारणों में से एक है।
उर्दू के मशहूर शायर और गीतकार निदा फाजली का दिल का दौरा पड़ने की वजह से निधन हो गया। 78 वर्षीय निदा ने मुंबई में आखिरी सांसे लीं। निदा फाजली अपनी शायरी के अलावा दोहों के लिए पूरी उर्दू दुनिया में विशेष तौर पर जाने जाते थे।
भाजपा सांसद और सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात संबोधन पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए आज कहा कि वह मन की बात के बजाए दिल की बात में विश्वास रखते हैं। दूसरी ओर भाजपा के युवा प्रकोष्ठ ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
दिल को छू लेने वाली कश्मीरियत की मिसाल कायम करते हुए दक्षिण कश्मीर में कुलगाम जिले के एक गांव के मुसलमानों ने एक कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार किया। यह कश्मीरी पंडित आतंकवादियों के खतरे के कारण घाटी छोड़ने की बजाए अपनी जड़ों से चिपका रहा। उसने घाटी छोड़ कहीं और बसने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था जबकि उसके सभी परिजन घाटी से पलायन कर गए।