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Search Result : "दलित छात्र आत्महत्या"

आधी आबादी की आवाज

आधी आबादी की आवाज

महिलाओं को आवाज उनके विचारों से मिलती है, उनके विचार उनकी भावनाओं से उपजते हैं और भावनाएं जब उफान पर होती है तब एक स्त्री कविता रचती है। दलितों और महिलाओं के संघर्ष को आवाज देने और उनके अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था रमणिका फाउंडेशन और दलित लेखक संघ कविता और कहानी पाठ के कार्यक्रम आयोजित करता रहा है।
शर्मः 25 फीसदी भारतीयों ने कबूला छूआछूत

शर्मः 25 फीसदी भारतीयों ने कबूला छूआछूत

अस्पृश्यता यानी छूआछूत उन्मूलन के 65 साल बाद भी हर चार भारतीयों में एक अपने घरों में किसी न किसी रूप में छूआछूत का पालन करता है। चौंकाने वाला यह तथ्य एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण में सामने आया है जिसे यहां दलित बुद्धिजीवियों, लेखकों एवं विद्वानों की एक सम्मेलन में पेश किया गया।
ऐसी नीतियों से कतई नहीं मिलेगा किसान को मुआवजा

ऐसी नीतियों से कतई नहीं मिलेगा किसान को मुआवजा

केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किसानों की मदद के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। फसलों को हुए नुकसान के सर्वे की रस्म अदायगी भी जारी है। लेकिन मेहनत की कमाई लुटा चुके किसानों के हाथ से मुआवजा अभी दूर है। दरअसल, फसलों के बीमा और मुआवजे की प्रक्रिया में इतने झोल हैं कि किसान तक सिर्फ आश्‍वासन ही पहुंच पाते हैं।
स्वस्तिक मामला: छात्र के निलंबन को निरस्त करने की अपील

स्वस्तिक मामला: छात्र के निलंबन को निरस्त करने की अपील

छात्रों के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक प्रमुख समूह ने छात्रों के वकीलों और हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के साथ मिलकर जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से अपील की है कि वह रेजीडेंस हॉल के सूचना बोर्ड पर हिंदू स्वस्तिक चिन लगाए जाने पर एक यहूदी छात्र के निलंबन को निरस्त कर दे। इस छात्र ने यह चिन अपनी भारत यात्रा के दौरान लिया था।
गहरे संकट से भिड़ना होगा वाम को

गहरे संकट से भिड़ना होगा वाम को

सीताराम येचुरी भारतीय वामपंथी आंदोलन के एक जाने-माने चेहरा हैं। हिंदी, अंग्रेजी, तेलुगु, बांग्ला भाषा में मजबूत पकड़ रखने के साथ एक-दो और भाषाओं के ज्ञाता है 62 वर्षीय येचुरी। मिलनसार स्वभाव वाले इस मृदुभाषी वाम नेता के कंधों पर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की गहरे संकट में फंसी नाव को निकालने की जिम्मेदारी है।
गजेंद्र सिंहः राजनीति और साफा कारोबार से आत्महत्या तक

गजेंद्र सिंहः राजनीति और साफा कारोबार से आत्महत्या तक

जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी की रैली में राजस्थान के किसान गजेंद्र सिंह कल्याणवत की खुदकुशी ने संसद से लेकर देश भर में बहस छेड़ दी है। गजेंद्र राजस्थान के दौसा जिले के एक गांव के रहने वाले थे। उन्हें किसान बताया तो जा रहा है लेकिन वह सिर्फ किसान नहीं थे बल्कि सामाजिक और राजनीतिक रूप से सक्रिय और जागरुक नागरिक भी थे। इस वर्ष उनकी सारी फसल बरबाद हो गई थी जिस वजह से वह आहत थे।
किसान आत्महत्या के मुद्दे पर संसद में हंगामा

किसान आत्महत्या के मुद्दे पर संसद में हंगामा

किसान की खुदकुशी सहित देश में किसानों की आत्महत्या को लेकर संसद के दोनों सदनों में गुरुवार को जमकर हंगामा हुआ। जिसके कारण दोनों सदनों को कुछ देर के लिए स्‍थगित करना पड़ा। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कुछ सदस्यों की ओर से प्रश्नकाल स्थगित करने के लिए दिये गये नोटिस को अस्वीकार करते हुए 12 बजे इस विषय पर चर्चा कराने और फिर गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बात रखने की व्यवस्था दी।
गजेंद्र की खुदकुशी पर सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा

गजेंद्र की खुदकुशी पर सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा

देश की संसद से महज चंद किलोमीटर दूर जंतर-मंतर पर राजस्थान के किसान गजेंद्र सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। तंगहाली और गरीबी से तंग गजेंद्र की मौत का तमाशा देखते रहे सभी। हजारों की तादाद में वहां लोग और पुलिसक्रमी मौजूद थे। सभी ने गजेंद्र को पेड़ पर चढ़ते हुए देखा और आत्महत्या की तैयारी करते हुए भी। देखते ही देखते गजेंद्र फंदे से झूल गया और चंद सेकेंड में उसके प्राण पखेरू उड़ गए। उस वक्त आप के तमाम बड़े नेता मंच पर मौजूद थे लेकिन भाषणबाजी का सिलसिला जारी रहा। सोशल मीडिया पर इस शर्मनाक घटना को लेकर जहां नेता, किसानों की बरबाद फसलों और मौतों पर अपनी रोटियां सेंक रहे हैं वहीं आम इंसान गजेंद्र की आत्महत्या से बेहद गुस्से में है।
गजेंद्र को अंतिम विदाई देने उमड़ी भीड़

गजेंद्र को अंतिम विदाई देने उमड़ी भीड़

बुधवार को दिल्ली मेंं आम आदमी पार्टी की रैली के दौरान फंदा लगाकर खुदकशी करने वालेे नांगल झामरवाडा के किसान गजेंद्र सिंह कल्याणवत (42) की आज यहां अंत्येष्टि कर दी गई।
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