एक बार मैं देर रात लोकल ट्रेन से घर लौट रही थी। उस कंपार्टमेंट में कुछ और औरतें भी थीं जो ड्रेस में थीं। मुझे लगा वे किसी जेवर की दुकान में काम करने वाली लड़कियां होंगी। पर, इतनी देर तक जेवर की दुकानें खुली नहीं रहती हैं।
प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर और शिक्षाविद दीपक नैयर सहित जेएनयू के दस प्रोफेसर एमिरेट्स ने विश्वविद्यालय के कुलपति जगदीश कुमार को पत्र लिखा है। शिक्षाविदों ने जेएनयू प्रशासन पर 9 फरवरी को हुए विवादास्पद कार्यक्रम के सिलसिले में छात्रों को कड़ा दंड देकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात करने का आरोप लगाया है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 9 फरवरी को घटी विवादास्पद घटना के संबंध में विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए दंड के विरोध में 25 छात्र अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।
देश-दुनिया को न्याय दिलाने वाले भारतीय न्यायाधीशों की कोई यूनियन नहीं होती। वे नारे नहीं लगा सकते। विरोध में प्रदर्शन नहीं कर सकते। स्वयं बनाई आचार संहिता के तहत अधिकांश न्यायाधीश भव्य पार्टियों से भी बचते रहते हैं। निजी समारोह में भी कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करते। विधि संस्थानों अथवा प्रतिष्ठित संस्थानों को छोड़कर सभाओं को संबोधित करने नहीं जाते। केवल सत्य निष्ठा और निष्पक्ष न्याय उनका मूल मंत्र और लक्ष्य होता है। कानूनी ग्रंथों के अलावा अदालत में प्रस्तुत प्रकरणों की मोटी फाइलें दिन-रात पढ़ते और फैसले लिखते हैं।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के एक मामले में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। नोटिस जारी करने पर भड़कीं ममता ने चुनाव आयोग को ललकारते हुए कहा कि नोटिस का जवाब मैं नहीं बल्कि 19 मई को राज्य की जनता देगी।
सांसदों का ‘रिश्वत कांड’ एक बार फिर गूंज उठा। ममता बनर्जी देश की उन नेताओं में से हैं, जिन पर व्यक्तिगत भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लग सकते। जार्ज फर्नांडिस पर ‘तहलका स्टिंग आपरेशन’ के कारण आरोप लगा, लेकिन जार्ज को भ्रष्ट और बेईमान नहीं माना गया।
राजनेता हों या अधिकारी, कारपोरेट किंग पूंजीपति या मजदूर – अदालत और अस्पताल पहंुचते ही कांपने लगते हैं। अपराध छोटा हो या बड़ा – कानून का शिकंजा खतरनाक साबित हो सकता है। इसी तरह हाथ या पैर की ऊंगली का नाखून ही निकला हो अथवा हृदय रोग – सर्जन के चमकते चाकू से निकलने वाला नतीजा जिंदगी दे या ले सकता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व लेक्चरर एसएआर गिलानी को मंगलवार की सुबह देशद्रोह और अन्य आरोपों के तहत दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद गिलानी को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया जहां से मजिस्ट्रेट ने उन्हें दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। गिलानी की गिरफ्तारी पिछले दिनों प्रेस क्लब में आयोजित उस समारोह के संबंध में की गई है जिसमें भारत विरोधी नारे लगाए गए थे।
भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत स्वेच्छा से दो वयस्कों के बीच समलैंगिक यौन संबंध स्थापित करने को अपराध की श्रेणी में रखने संबंधी शीर्ष अदालत के फैसले पर फिर से गौर करने के लिए दायर सुधारात्मक याचिका को आज उच्चतम न्यायालय ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दी।