26/11 के मुंबई हमलों के सात साल बाद भारत और पाकिस्तान के बीच गतिरोध खत्म हुआ है और दोनों देश व्यवस्थित तरीके से बातचीत को तैयार हो गए हैं। हार्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन के लिए पाकिस्तान गईं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया कि दोनों देशों ने समग्र वार्ता शुरू करने का फैसला ले लिया है। इस घटनाक्रम को सुषमा स्वराज की पाकिस्तान यात्रा की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। अगले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान जाएंगे।
दिल्ली में प्रदूषण घटाने के लिए एक दिन छोड़कर कार चलने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव के बाद अब केंद्र सरकार भी कड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। दिल्ली में सीएनजी की उपलब्धता 100 फीसदी बढ़ाने के साथ-साथ पीक आवर में सीएनजी महंगी देने की योजना पर विचार किया जा रहा है।
कार्बन उत्सर्जन को धीरे-धीरे खत्म करके जलवायु परिवर्तन का दीर्घकालिक हल ढूंढने की कोशिशें तेज होने के बीच भारत के एक शीर्ष वार्ताकार ने कहा है कि यदि विकसित देश भारत को पर्याप्त तकनीक और वित्तीय मदद उपलब्ध करवाकर स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाने में इसकी मदद के लिए सहमत होते हैं तो भारत भविष्य में कोयले पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए तैयार है।
2 दिसंबर 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई जिसे भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। यूनियन कार्बाइड कंपनी के कारखाने से जहरीली गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगो की जान गई और अनगिनत लोग शारीरिक अपंगता का शिकार हुए।
बिहार चुनाव 2015 नें राजनीति में कई मानक गढ़े है। इस चुनाव में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह की मजबूत जोड़ी को शिकस्त दी है। राजनीतिक विश्लेषक एवं प्रबुद्व पत्रकार इसे देश की राजनीतिक को भी प्रभावित करने की बात करते है।
पिछले कई महीनों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के मूल्यों में जारी कटौती को देखते हुए लगातार तीसरी बार विमान ईंधन यानी एटीएफ के मूल्यों में फिर से 1.2 प्रतिशत की कटौती की गई। वहीं खुले बाजार में बिकने वाली रसोई गैस (एलपीजी) के प्रति सिलेंडर मूल्य में 61.50 रुपये की वृद्धि की गई है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट की वजह से भारत में भी लोगों को राहत देते हुए तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के दाम घटा दिए हैं।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि सरकारी विभागों में श्रमबल के अभाव के कारण सरकार के पास तकरीबन 2.46 लाख पेटेंट आवेदन जबकि 5.32 लाख व्यापार चिह्न पंजीकरण लंबित पड़े हैं।