 
 
                                    चर्चाः मीडिया को बख्शा नहीं जाए | आलोक मेहता
										    सत्ताधारियों को तलवार लटकाना बहुत अच्छा लगता है। इसी तरह मीडिया का एक वर्ग सदा यह समझता रहा है कि वह सर्वशिक्तमान है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ सत्ता को बनाने-बिगाड़ने और देश की दशा तय करने का काम कर सकता है। यह दोनों प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था में अनुचित है। 										
                                                                                
                                     
                                                 
  
  
  
  
  
  
  
  
  
			 
                     
                    