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नेपाल में सात ताजा झटके, 136 मरे

नेपाल में सात ताजा झटके, 136 मरे

नेपाल में भूकंप के सात झटकों ने एक बार फिर हिमालय क्षेत्र को दहला दिया है। ताजा झटकों में मरने वालों की संख्या 136 हो गई है। रिक्टर पैमाने पर 5. 7 की तीव्रता वाले भूकंप के झटके समूचे उत्तर बंगाल, बिहार और सिक्किम में आज शाम पांच बजकर पांच मिनट पर महसूस किए गए। भूकंप प्रभावित नेपाल में राहत अभियान के दौरान पर्वतीय क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त अमेरिकी मरीन हे‌िलकाॅप्टर के मलबे से आठ सैनिकों के झुलसे हुए शव बरामद हुए हैं।
नेपाल में फिर आए भूकंप के झटके, अब तक 65 की मौत

नेपाल में फिर आए भूकंप के झटके, अब तक 65 की मौत

नेपाल में बुधवार को एक बार फिर भूकंप के ताजा झटके महसूस किए गए है। मंगवार को यहां आए शक्तिशाली भूकंप में 65 लोगों के मारे जाने के बाद डरे हुए हजारों लोगों ने खुले में ही रात बिताई।
नेपाल में भूकंप के ताजा झटके, मृतकों की संख्या पहुंची 8,000

नेपाल में भूकंप के ताजा झटके, मृतकों की संख्या पहुंची 8,000

नेपाल में शुक्रवार को भी भूकंप के दो बड़े झटके महसूस किए गए। इस कारण तबाही से जूझ रहे लोगों में दहशत फैल गई। अब तक भूकंप में मरने वालों की संख्या लगभग 8,000 तक पहुंच चुकी है।
भूकंप के ताजा झटकों से हिला नेपाल

भूकंप के ताजा झटकों से हिला नेपाल

भूकंप प्रभावित नेपाल को मंगवार को फिर से रिक्टर स्केल पर 4.0 तीव्रता वाले भूकंप ने हिला दिया। वहीं 25 अप्रैल को आए घातक भूकंप में मरने वालों की संख्या 7,500 के पार हो गई है।
ऐक्टिविस्ट महिलाओं ने किया अर्णब गोस्वामी का बहिष्कार

ऐक्टिविस्ट महिलाओं ने किया अर्णब गोस्वामी का बहिष्कार

देश की कई जानी-मानी महिला ऐक्टिविस्ट ने टाइम्स नाव टीवी चैनल और अर्णब गोस्वामी के शो के बहिष्कार का ऐलान किया है। इन ऐक्टिविस्ट ने अर्णव को एक ख़त लिखकर अपनी नाराज़गी जताई है। ख़त में कहा गया है कि गोस्वामी अपने टीवी कार्यक्रम न्यूज़ आवर में पत्रकारीय उसूलों का पालन नहीं करते हैं। इसलिए आगे से यह महिला ऐक्टिविस्ट उनके शो में हिस्सेदारी नहीं करेंगी।
माकपा नेता अच्युतानंदन का विद्रोह

माकपा नेता अच्युतानंदन का विद्रोह

माकपा की केरल इकाई को और अधिक परेशानी में डालते हुए माकपा के संस्थापक नेता वी एस अच्युतानंदन ने पार्टी के सम्मेलन के अंतिम सत्र में शिरकत करने के केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश का पालन नहीं किया। प्रदेश नेतृत्व से गहरे मतभेदों के चलते अच्युतानंदन सम्मेलन के बीच से चले गए थे।
आखिर कब तक करेंगे बहिष्कार ?

आखिर कब तक करेंगे बहिष्कार ?

जनादेश प्राप्त किसी मंत्री या निर्वाचित प्रतिसनिाधिे को खारिज कर उनके कार्यक्रम और समारोह का बहिष्कार किया जाना चाहिए क्योंकि वे दूसरी विचारधारा से है
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