आय से अधिक संपत्ति के मामले में तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को कर्नाटक हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए बरी कर दिया है। फैसला आते ही जयललिता के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई और वह जश्न मनाने लगे।
ब्रिटेन के चुनावों की असली कहानी दो समांतर रुझानों की कहानी है। एक रुझान केंद्रीकरण और स्थिरता की तरफ है। दूसरा रुझान विकेंद्रीकरण की ओर है। कंजरवेटिव पार्टी को बहुमत दिलाने में पहले रुझान का हाथ तो स्पष्ट है लेकिन दूसरे रुझान ने भी उसे उतनी ही ताकत पहुंचाई। स्कॉटलैंड में स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) को मिली अपूर्व सफलता, उस तरह की सफलता जैसी दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मिली है, दूसरे रुझान की ताकत का संकेत है। यह विश्व के सबसे पुराने राजनीतिक संघ यूनाइटेड किंगडम के ढांचे को पुनर्परिभाषित करेगा। इस दूसरे रूझान ने स्कॉटलैंड में लेबर पार्टी की जड़ खोद दी और वेल्स में भी स्थानीय दल प्लेड सिमरू को मिले वोटों ने लेबर पार्टी के ही वोट काटे। जब विकेंद्रीकरण के हामी स्थानीय दलों ने मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी का जनाधार और एक हद तक वैचारिक आधार भी चुरा लिया तो सत्तारूढ कंजरवेटिव पार्टी को फायदा मिलना ही था।
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि जे जयललिता से जुड़े आय से अधिक संपत्ति के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय में पेश होने के लिए भवानी सिंह को विशेष सरकारी वकील के रूप में नियुक्त करने का कोई अधिकार तमिलनाडु सरकार के पास नहीं है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और तमिलनाडु कांग्रेस अध्यक्ष ई वी के एस इलनगोवन के बीच कई हफ्तों से जारी मतभेदों के बीच चिदंबरम ने अपने छह समर्थकों के निष्कासन को लेकर एआईसीसी से हस्तक्षेप करने की मांग कर शनिवार को प्रदेश प्रमुख को सीधी चुनौती दी है।