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भाजपा संसद में व्यवधान खड़ा कर रही है : येचुरी

भाजपा संसद में व्यवधान खड़ा कर रही है : येचुरी

येचुरी ने भाजपा पर दोहरे मानदंड का आरोप लगाते हुए विपक्ष में रहने के दौरान भाजपा के कई उदाहरण गिनाए जब उसने ए राजा, दयानिधि मारन, शशि थरूर, पी के बंसल, अश्वनि कुमार और के नटवर सिंह जैसे संप्रग सरकार के मंत्रियों के इस्तीफे की मांग को लेकर संसद नहीं चलने दिया था।
ये यूपीए की सरकार नहीं, यहां इस्‍तीफे नहीं होते: राजनाथ सिंह

ये यूपीए की सरकार नहीं, यहां इस्‍तीफे नहीं होते: राजनाथ सिंह

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज ऐलान किया, हम एनडीए हैं, यूपीए नहीं, कोई इस्तीफा नहीं देगा। ललित मोदी प्रकरण में उन्होंने सुषमा स्‍वराज समेति किसी भी मंत्री के इस्तीफे से साफ इन्‍कार किया है।
दाऊद प्रकरण में संसद में बयान दूंगा: गृहमंत्री

दाऊद प्रकरण में संसद में बयान दूंगा: गृहमंत्री

माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम को लेकर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर लगातार हमलों के बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि वह जल्द ही इस सिलसिले में संसद में बयान देंगे।
भारतीय मीडिया और स्त्री सौंदर्य के रूपक-विरूपक

भारतीय मीडिया और स्त्री सौंदर्य के रूपक-विरूपक

बाज़ार को बेचने हैं सौंदर्य को बढ़ाने वाले संसाधन इसलिए ‘च्‍वाइसेस’ या विकल्‍पों की बात हो रही है। लेकिन मुझे परेशानी इस बात से ज्यादा है कि वही स्त्री जब भारत के सड़कों, गलियों, खेतों, खलिहानों, कस्बों में बलत्कृत, क्षत-विक्षत मृत शरीर के रूप मे पाई जाती है। तब ना आपको उस पर बात करने से गुरेज है और ना उसका छायांकन करने में। लेकिन वही स्त्री जीवित अवस्था में अपने उसी शरीर पर हक की बातें करती है तो आपको 'परिवार व्यवस्था' से लेकर 'स्त्री देवी' के भ्रम के टूटने की धमक सुनाई देने लगती है।
व्यवस्था की विकलांगता ही चुनौतीः केदार

व्यवस्था की विकलांगता ही चुनौतीः केदार

जब वह मेरे दफ्तर मिलने के लिए आए तो अचानक ही लगा कि मेरा दफ्तर भी विकलांग व्यक्ति के लिए कितना असुविधाजनक है। वह हथेलियों में हवाई चप्पल पहने हुए पूरी सहजता और जबर्दस्त आत्मविश्वास के साथ दफ्तर में आ चुके थे। तकरीबन लपकते हुए वह कुर्सी की ओर बढ़े।
जेएनयू में आदिवासी साहित्य की गूंज

जेएनयू में आदिवासी साहित्य की गूंज

भारतीय साहित्य में आजकल एक नई धारा चर्चा में है। आदिवासी साहित्य नाम की इस धारा के लेखक दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में जुटे और उन्होंने आदिवासी जीवन से जुड़े मुद्दों को साहित्य में उठाने की वकालत की।
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