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Search Result : "जनता दल यूनाइटेड के विधायक"

बागी विधायकों पर कार्रवाई का कदम विवादों के घेरे में

बागी विधायकों पर कार्रवाई का कदम विवादों के घेरे में

उत्तराखंड विधानसभा में 28 मार्च को हरीश रावत सरकार द्वारा बहुमत साबित करने की चुनौती से पहले सत्ताधारी कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को सदन की सदस्यता से बेदखल किए जाने का कदम विवादों के घेरे में आ गया है।
आया राम, गया राम के दुर्भाग्य की छाया

आया राम, गया राम के दुर्भाग्य की छाया

लगता है आया-राम, गया-राम की सरकारों के दुर्भाग्य की छाया उत्तराखंण्ड पर भी पड़ गई है। राज्य विधानसभा के बजट सत्र में उत्तराखंड के नौ कांग्रेसी विधायक अचानक बागी होकर सदन के भीतर और बाहर भाजपा विधायकों के साथ मिलकर उत्तराखंड में वैकल्पिक सरकार बनाने का दावा करने लगे।
कांग्रेस ने अपने बचे विधायकों को अज्ञात जगह भेजा

कांग्रेस ने अपने बचे विधायकों को अज्ञात जगह भेजा

उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार पर आए संकट को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में बयानबाजी तेज हो गई है। इस बीच अपने बचे विधायकों को किसी भी संभावित टूट से बचाने के लिए कांग्रेस ने उन्हें अज्ञात स्थान पर भेज दिया है। वैसे कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उन्हें रामनगर भेजा गया है।
उत्तराखंड: हरक रावत बर्खास्त, बागी विधायक गुड़गांव में

उत्तराखंड: हरक रावत बर्खास्त, बागी विधायक गुड़गांव में

राजनीतिक संकट का सामना कर रहे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत को आज उस समय बड़ी राहत मिली जब राज्यपाल कृष्णकांत पाल ने उन्हें 28 मार्च तक विधानसभा के पटल पर अपना बहुमत साबित करने को कहा।
हरीश रावत को 28 मार्च तक साबित करना होगा बहुमत

हरीश रावत को 28 मार्च तक साबित करना होगा बहुमत

उत्तराखंड के राज्यपाल केके पॉल द्वारा हरीश रावत को बहुमत साबित करने के लिए 28 मार्च तक का समय दिए जाने के बाद कांग्रेस सरकार पर पैदा हुए संकट का समाधान तलाशने में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व जोर-शोर से जुट गया है। बताया जा रहा है कि पार्टी के असंतुष्ट नौ विधायकों का नेतृत्व कर रहे हरक सिंह रावत और विजय बहुगुणा को साधने की हर संभव कोशिश की जा रही है। सूत्रों के अनुसार बहुगुणा को मनाने की जिम्मेदारी उनकी बहन रीता बहुगुणा को सौंपी गई है।
उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार खतरे में!

उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार खतरे में!

देश के कई राज्यों में पहले ही अपनी सरकार गंवा चुकी कांग्रेस पार्टी के लिए शुक्रवार को बेचैन करने वाली खबर उत्तराखंड से आ रही है। राज्य के 36 कांग्रेस विधायकों में से 9 ने खुलेआम पार्टी से बगावत कर दी है और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिला दिया है।
तृणमूल सीडी कांड पर आला नेताओं की चुप्पी से बंगाल भाजपा में असमंजस

तृणमूल सीडी कांड पर आला नेताओं की चुप्पी से बंगाल भाजपा में असमंजस

तृणमूल कांग्रेस घूसकांड को लेकर भारतीय जनता पार्टी की केन्द्रीय नेताओं की चुप्पी के चलते बंगाल के भाजपाई असमंजस में हैं। घूसकांड के मुद्दे को भुनाने के लिए क्या योजना बनाई जाए- इसके लिए वे आलाकमान का मुंह जोह रहे हैं। इस मुद्दे पर न तो अब तक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का कोई बयान आया है और न ही अरुण जेटली, राजनाथ सिंह या फिर कैलाश विजयवर्गीय।
ममता का असमंजस और आत्मविश्वास

ममता का असमंजस और आत्मविश्वास

पंद्रह साल पहले। 13 मार्च, 2001 का बहुचर्चित स्टिंग `ऑपरेशन वेस्ट एंड'। सीडी में फर्जी हथियार डीलर बनकर गए एक व्यक्ति से एक लाख रुपए लेते दिखाए गए थे भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण। तब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल थी तृणमूल कांग्रेस और इस पार्टी की सुप्रीमो ममता बनर्जी अटल बिहारी वाजपेयी की तत्कालीन सरकार में रेल मंत्री थीं। उस वक्त ममता बनर्जी ने बंगारू लक्ष्मण और तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के इस्तीफे की मांग उठाई थी। इस्तीफा न होने पर समर्थन वापसी की धमकी दी थी।
विधानसभा की जोर-आजमाइश में बुजुर्ग नेता

विधानसभा की जोर-आजमाइश में बुजुर्ग नेता

भारतीय जनता पार्टी में जहां 75 साल से ज्यादा की उम्र वाले नेताओं को राजनीति से रिटायर करने की बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह कर चुके हैं, वहीं इस बार के विधानसभा चुनाव में कई राज्यों में विभिन्न पार्टियों के वयोवृद्ध नेता मैदान में उतर रहे हैं। वाममोर्चा और कांग्रेस में कई उम्मीदवार ऐसे हैं, जो 80 साल से ज्यादा की उम्र के हैं। केरल से माकपा के वयोवृद्ध नेता वीएस अच्युतानंदन मैदान में हैं, जो 92 साल के हैं। बंगाल वाममोर्चा के कई ऐसे नेता हैं, जो 75 पार कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु 90 साल से ज्यादा की उम्र तक राजनीति में सक्रिय रहे। दोनों राज्यों में कांग्रेस के भी कई नेता ऐसे हैं, जो उम्र के आठवें पड़ाव में पहुंच चुके हैं।
चर्चाः धन जनता का, चमके चेहरे मंत्रियों के | आलोक मेहता

चर्चाः धन जनता का, चमके चेहरे मंत्रियों के | आलोक मेहता

रेडियो पर एक गाना बहुत बजता है- ‘चेहरा न देखो, चेहरे ने लाखों को लूटा।’ यों यह गीत प्यार-मोहब्बत से जुड़ा है। लेकिन नेताओं-मंत्रियों के लिए इन शब्दों के अलग-अलग अर्थ लगाए जाते हैं। भोली भाली जनता चेहरे और वायदे पर वोट दे देती है। फिर खून-पसीने की मेहनत की कमाई का एक हिस्सा टैक्स के रूप में सरकारी खजाने को देती है। इसी सरकारी खजाने की रकम से सरकार में बैठे प्रभावशाली नेता-मंत्री अपना चेहरा चमकाए रखना चाहते हैं।