देश आज चौराहे पर खड़ा है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि सही रास्ता कहां है। ऐसे में यह जरूरी है कि देशवासी संविधान द्वारा बताए गए रास्ते पर चलें जिससे देश में शांति कायम हो सके। ये बातें आज जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने आज कहीं। उन्होंने कहा कि गुरुवार (17 अगस्त) को नई दिल्ली में ‘साझा विरासत बचाओ सम्मेलन’ का आयोजन किया गया है। इस सम्मेलन में विरोधी दलों के नेताओं के अलावा बुद्धिजीवी, किसान, बेरोजगार युवा, दलित और देश के सभी हिस्से के आदिवासी भाग लेंगे।
विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद की रेस में शामिल मीरा कुमार इन दिनों पटना में हैं। अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने की अपील करने वाली मीरा कुमार भले ही आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के बुरे वक्त में उनसे नहीं मिली, लेकिन प्रशंसा करने से पीछे नहीं हटीं।
जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में आज से शुरू होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन की पूर्वसंध्या पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच काफी झड़पें हुई हैं। इस बीच पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछारों और मिर्ची पाउडर का भी छिड़काव किया। जवाब में प्रदर्शनकारियों ने भी पुलिस पर बोतलों, पत्थर और कई अन्य चीज़ों से हमला किया।
'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में शिरकत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कजाकिस्तान के लिए रवाना हो गए हैं। वहां पीएम मोदी चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग समेत कई विदेशी नेताओं से मुलाकात करेंगे।
सहारनपुर में हुई हिंसा के बाद 180 दलित परिवारों ने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया है। दलितों की भीम आर्मी पर हिंसा और दंगे फैलाने का आरोप लगा है। दलितों ने इसी से खफा होकर इस तरह का कदम उठाया है। ये दलित तीन गांवों रूपड़ी, ईगरी व कपूरपुर के हैं। इन्होंने हिंदू धर्म त्यागने के दौरान बकायदा देवी-देवताओं की मूर्तियां पानी में प्रवाहित कर दी। दलितों ने पुलिस-प्रशासन पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
बीजिंग में आज से शुरू हो रहे ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’ (बीआरएफ) का भारत बहिष्कार करेगा। भारत की ओर से एक अधिकारिक बयान में कहा गया है कि भारत ऐसी परियोजना को स्वीकार नहीं कर सकता जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता हो।