भारत में अपने 20 साल पूरे होने के अवसर पर डिस्कवरी चैनल ने देश की कुछ बेहतरीन कहानियों समेत अपने कुछ सबसे शानदार कार्यक्रमों को विशेष रूप से प्रदर्शित करने की योजना बनाई है।
अभिव्यक्ति की आजादी के लिए यह वर्ष नाटकीय रहा है। यह इंडियाज डॉटर पर सेंसरशिप से लेकर श्रेया सिंघल फैसले के उत्साह और फिर गुपचुप तरीके से इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी को ब्लॉक करने की सरकारी कोशिश के बीच झूलता रहा। हालांकि हर घटना ने अलग-अलग नाराजगी पैदा की मगर सच यही है कि ये सभी जुड़ी हुई हैं। ये सभी अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरे को दूर रखने वाले संवैधानिक सुरक्षा उपायों में मौजूद खामियों को बताने वाले चेतावनी संकेत हैं।
देश में पर्यावरण गंभीर खतरे में है। जन-जंगल-जमीन इस तरह प्रदूषित हो गया है कि साफ हवा और साफ पानी के लाले पड़े हुए हैं। ऐसे में पहले से लचर पर्यावरण कानूनों को मजबूत बनाने के बजाय केंद्र सरकार पर्यावरण कानूनों की समीक्षा के नाम पर पर्यावरण और लोगों के अधिकारों को रहन रखने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए पर्यावरण शब्द का मतलब निवेश का पर्यावरण बन गया है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के स्वरों को पर्याप्त जगह देना ही नहीं बल्कि इन स्वरों का संरक्षण देना भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है। मगर ऐसा लगता है कि हमारी केंद्र सरकार असहमति की छोटी से छोटी आवाज भी नहीं सुनना चाहती। तभी तो उसने देश के तीन बड़े समाचार चैनलों को याकूब मेमन की फांसी के कवरेज पर नोटिस जारी कर दिया है।
सूज़ी और मैं दो साल से डेटिंग कर रहे थे। वी आर इन लव। कभी पिक्चर-विक्चर, कभी लेक्चर-शेक्चर...। लड़कियों को सूज़ी बहुत पसंद थी, पर लड़के...
अबे ये कौन है ? ( कॉलेज में एक लड़का हंसी उड़ाता हुआ बोलता है) गर्ल फ्रेंड है मेरी, तेरी भाभी होने वाली है (विज्ञापन का हीरो बोलता है)
चश्मा चेक करा ले अपना...(वही पहला लड़का बोलता है)...सब जलते थे...(हीरो)
नंबर चेक कराले तेरा (दूसरा लड़का बोलता है)।
…फिर मैंने सुना कि Lenskart.com पर लेज़र प्रोसिज़र से बने लेंस मिलते हैं.....सोचा यहीं से ले लेते हैं (और सही लेंस चूज़ करते ही हीरो की चीख़ निकल जाती है यानी हक़ीकत सामने आ जाती है)। ...सूज़ी (अंत में विज्ञापन का हीरो अफसोस के साथ)।
फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन से डीडी किसान चैनल का प्रचार कराने का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। इस बारे में अपनी सफाई देते हुए अमिताभ बच्चन ने जो तथ्य सामने रखें हैं, उनसे कई सवाल खड़े हो गए हैं। अगर अमिताभ बच्चन वाकई डीडी किसान का निशुल्क प्रचार करने वाले थे तो दूरदर्शन 8.5 करोड़ रुपये लुटाने पर क्यों आमादा रहा? कहीं अमिताभ की आड़ में दूरदर्शन और एड एजेंसी के बीच तो बड़ा खेल नहीं हो गया?
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक निजी समाचार चैनल को गुमराह करने वाले कार्यक्रम का प्रसारण करने को लेकर चेतावनी दी है। इस कार्यक्रम में चैनल ने यह दावा करते हुए उपराष्ट्रपति से गलत तरीके से सवाल किया था कि उन्होंने गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रध्वज को सलामी नहीं दी, जबकि उपराष्ट्रपति ने ऐसा किया था।
आलिया भट्ट भारत के राष्ट्रपति को नहीं जानती यह तो सभी को पता है लेकिन वह कोई अच्छा डांस कर रहा है या कोई बढ़िया गा रहा है यह बताने में भी डरती हैं। एक कार्यक्रम में आलिया ने कहा कि वह छोटी हैं सो किसी भी डांस या गाने के शो में जज बनने के बारे में अभी सोच नहीं सकती हैं।
करोड़ों रुपये योग दिवस के प्रचार-प्रसार पर स्वाहा हो गए। सरकार ने ब्रांडिग कर यह दिखाना चाहा कि भारत इसके लिए कितना गंभीर है। लेकिन इस दिवस के अवसर को कुछ लोगों ने मजाक के रुप में लिया तो कुछ ने इसे सियासत के तौर पर देखा। सोशल मीडिया पर भी योग दिवस को लोगों ने अलग-अलग तरीके से परिभाषित किया।
विश्व योग दिवस के अवसर इतिहास रचने की मंशा लिए भारत सरकार ने सवा सौ करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि केवल प्रचार-प्रसार पर खर्च किया है। सरकार के विभिन्न मंत्रालयों ने इस दिवस को सफल बनाने का जो बजट तैयार किया है वह प्रचार-प्रसार के लिए अन्य योजनाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा है।