अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने ताजा चुनावी सर्वेक्षण में अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप पर नौ अंकों की बढ़त कायम कर ली है।
आप से निष्कासित होने के बाद योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, प्रो. आनंद कुमार और अजीत झा स्वराज अभियान नामक गैर राजनीतिक संगठन बनाकर देशभर में जनांदोलन चला रहे हैं। निष्कासन के करीब एक साल बाद संगठन के तमाम कार्यकर्ताओं से वोटिंग कराने के बाद अब स्वराज अभियान ने राजनीतिक दल के निर्माण की घोषणा की है।
ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी उनसे नाराज हैं और हाल ही में उन्होंने पीके को बुलाकर फटकार लगाई है और उन्हें साफ निर्देश दिया है कि आगे से उत्तर प्रदेश के मसलों पर वे राज्य में पार्टी के प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद को रिपोर्ट करेंगे।
आज के किशोर टिनीटिस (कान में लगातार गूंजती आवाज) की समस्या से जूझ रहे हैं। यह बहरेपन का लक्षण होता है। एक नए अनुसंधान में पता चला है कि इन लक्षणों को प्रारंभिक चेतावनी के तौर पर लेना चाहिए क्योंकि इनका सामना कर रहे युवाओं को बहरेपन का गंभीर खतरा है।
कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले की जांच में सीबीआई के तत्कालीन निदेशक रंजीत सिन्हा द्वारा अड़ंगे लगाने के आरोपों की छानबीन के लिए शीर्ष न्यायालय की ओर से गठित एम.एल. शर्मा समिति ने सिन्हा को मामले में दोषी ठहराया है और कहा है कि इस मामले में प्रथम दृष्टया जांच को प्रभावित करने की कोशिश की गई।
अगले वर्ष होने वाले उत्तर प्रदेश चुनावों में कांग्रेस के प्रचार की कमान मुख्य़तौर पर प्रियंका गांधी , दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद के हवाले रहेगी। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश और पंजाब चुनावों में पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सुझाव दिया था कि वह चाहते हैं कि कांग्रेस की ओर से इस त्रिमूर्ति को उत्तर प्रदेश के चुनावी रण में प्रचार के लिए उतारा जाए। प्रशांत के अनुसार चूंकि भौगोलिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश काफी बड़ा राज्य है इसलिए इलाहाबाद और उसके आसपास की कमान प्रियंका गांधी, लखनऊ और उसके आसपास की कमान शीला दीक्षित के हवाले रहेगी। गुलाम नबी आजाद पूरे राज्य में घूमेंगे। उनके पास अल्पसंख्यक समुदाय को रिझाने का जिम्मा भी रहेगा। सूत्रों का कहना है कि पार्टी हाईकमान ने उनके इस सुझाव हो हरी झंडी दे दी है।
देश को आजाद हुए पैंसठ साल से अधिक का समय हो गया पर भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अभी तक आम राय नहीं बन पाई है। जब इतने समय पर यह नहीं हो पाया तो भाजपा अब क्या सोच समझ कर यूनिफार्म सिविल कोड का ताना-बाना बुनने लगी है। क्या छह माह में इसे लागू करने का दम केंद्र की भाजपा सरकार के पास है या यह महज एक चुनावी चुग्गा है। जो भाजपा ने यूपी चुनाव से पहले जनता की ओर फेंक दिया है।
कांग्रेस पार्टी के लगातार आग्रह के बाद प्रियंका गांधी ने यू पी विधानसभा चुनाव में पार्टी की सफलता के लिए करीब 200 सभाओं को संबोधित करने के लिए स्वीकृति दे दी है।