चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिश को अगर लागू कर दिया जाए तो बिहार, असम, त्रिपुरा और उत्तराखंड जैसे राज्यों का केंद्रीय करों में हिस्सा घट सकता है। इन राज्यों ने वित्त आयोग की सिफारिशों से अपनी नाराजगी जताई है।
ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार रिजर्व बैंक की स्वायत्ता में दखल देने की ओर बढ़ रही है। हाल में वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच हुए एक समझौते को देखकर तो ऐसा ही लगता है। इस दखल को प्रभावी बनाने के लिए रिजर्व बैंक कानून में संशोधन तक किया जाना है।
खाद्य मूल्य में गिरावट जैसे बाहरी कारकों के अलावा कृषि क्षेत्र की कुछ समस्याएं इस साल के कमजोर मॉनसून से भी बढ़ी हैं। यह भी एक तत्व है कि पूर्ववर्ती सरकार की गलत नीतियों के कारण कृषि क्षेत्र की दुर्दशा हुई है। सन 2014 में पोषक तथ्व आधारित सद्ब्रिसडी (एनबीएस) शुरू होने से न सिर्फ उर्वरक मूल्य में वृद्धि हुई बल्कि मिश्रित उर्वरक के इस्तेमाल में असंतुलन भी पैदा हुआ। नतीजतन कृषि में मुनाफा कम हो गया और ग्रामीण अर्थव्यवस्था बदतर हो गई।
सरकार द्वारा वृद्धि को प्रोत्साहित करने और राजकोषीय एवं आपूर्ति पक्ष की मुश्किलें दूर करने से जुड़ी पहलों से भारत की साख का निर्धारण तय होगा। यह बात बुधवार को रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कही।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में फंसी राशि मार्च 2014 तक के तीन वर्षों में तीन गुना से भी अधिक बढ़कर 2.17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यह जानकारी सरकार ने संसद में दी है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने खेती-किसानी और सड़क-बिजली-पानी को केन्द्रबिन्दु में लेते हुए वित्त वर्ष 2015-16 का बजट पेश किया है। एक ओर बजट में अगले वित्त वर्ष को किसान वर्ष घोषित किया गया है तो दूसरी ओर मेट्रो रेल, लखनउ-आगरा ऐक्सप्रेस वे तथा बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी पर विशेष बल दिया गया है।
भारतीय मुद्रा की छपाई के दौरान हुई सुरक्षा लापरवाही के मामले को दबाते हुए वित्त मंत्रालय ने अंदरखाने जांच भी शुरू कर दी लेकिन इस बात की किसी को भनक तक नहीं लग पाई। समाचार चैनल सीएनएन आईबीएन के हाथ लगी मामले की जांच रिपोर्ट सामने आई है। यह मामला पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौर का है।