सरकार ने शुक्रवार को कहा कि निर्यात में गिरावट मई में रोकी जा चुकी है और अब समय है कि निर्यात को प्रोत्साहन दिया जाए। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई दिल्ली में कहा कि अभी निर्यात में तीव्र वृद्धि धीमी रहने की संभावना है पर यह गर्त से उठने लगा है।
चीनी मिलों के प्रमुख संगठन, भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने शुक्रवार को कहा कि चीनी पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने से इसका चीनी का निर्यात वित्तीय दृष्टि से अव्यावहारिक हो गया है लेकिन इससे घरेलू मांग पूरा करने के लिए देश में इसका स्टॉक समुचित स्तर पर बनाये रखने में मदद मिलेगी।
भारत के निर्यात में लगातार 14वें माह गिरावट का रुख रहा। वैश्विक मांग नरम रहने के बीच पेट्रोलियम उत्पादों व इंजीनियरिंग वस्तुओं के निर्यात में तेज गिरावट के चलते जनवरी में देश का निर्यात 13.6 प्रतिशत घटकर 21 अरब डॉलर पर आ गया।
केंद्र सरकार की मेक इन इंडिया मुहिम और आर्थिक विकास के तमाम वादे के विपरीत देश के निर्यात में लगातार 13वें महीने गिरावट दर्ज की गई है। वैश्विक मांग में नरमी के बीच दिसंबर 2015 में भारत का निर्यात 14.75 प्रतिशत गिरकर 22.2 अरब डालर रह गया। जबकि व्यापार घाटा बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 11.6 अरब डालर पर पहुंच गया है। जबकि पिछले साल इसी अवधि में व्यापार घाटा 9.1 अरब डॉलर था।
भारत के रत्न एवं आभूषण क्षेत्र का निर्यात चालू वित्त वर्ष के दौरान करीब 7.5 प्रतिशत घटकर 18.09 अरब डॉलर रहा। सोने की कीमत और वैश्विक मांग में गिरावट के मद्देनजर निर्यात में यह कमी आई है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को नेस्ले कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए इसके मैगी नूडल्स को निर्यात को मंजूरी दी है। यह मंजूरी किस आधार पर दी गई इसके बारे में कोर्ट के विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा है।
देश के निर्यात में मई में भी गिरावट रही और यह एक साल पहले इसी माह की तुलना में 20.19 प्रतिशत गिरकर 22.34 अरब डॉलर रह गया। यह लगातार छठा महीना है जबकि निर्यात संकुचित हुआ। निर्यात में गिरावट मुख्य तौर पर वैश्विक नरमी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण है। तेल के दाम गिरने से पेट्रोलियम उत्पादों की निर्यात आय प्रभावित हुई है।