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Search Result : "गुरु ग्रंथ साहब"

योग दिवस: आेम नमो नरेंद्र

योग दिवस: आेम नमो नरेंद्र

अब योग किसी एक संस्कृति या धर्म का नहीं रहा। यह क्रिसमस की तरह है, जो भी इसे मनाना चाहें उन सब का है। आधुनिक दौर में हमारे सुस्त और गतिहीन जीवन से उबरने का सबसे बेहतर तरीका।
व्हॉट्सएप पर पैगम्बर साहब पर टिप्पणी को लेकर तनाव

व्हॉट्सएप पर पैगम्बर साहब पर टिप्पणी को लेकर तनाव

सोशल नेटवर्किंग एप्लीकेशन व्हॉट्सएप के जरिये पैगम्बर साहब के प्रति कथित तौर पर आपत्तिजनक सामग्री वाला संदेश प्रसारित किए जाने से उत्तर प्रदेश के बरेली में तनाव फैल गया है। मामले की छानबीन के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी एक निजी स्कूल के उप प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत था।
शशि कपूर को दादा साहब फाल्के सम्मान

शशि कपूर को दादा साहब फाल्के सम्मान

बीते जमाने के अभिनेता शशि कपूर को दादा साहब फाल्के सम्मान मिलना उनके काम को सम्मान मिलना है। उन्होंने रोमांटिक भूमिकाएं जिस सहजता से निभाईं उसी कुशलता से वह परदे पर अपने गुस्से का इजहार भी करते थे।
मेरी मां से मुझ तक पहुंची शशि की मुस्कराहट

मेरी मां से मुझ तक पहुंची शशि की मुस्कराहट

शशि कपूर को दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलना बहुत ही सुखद है। वह भले ही फिल्मी दुनिया के प्रचलित शब्द सुपर सितारे नहीं थे पर सितारे तो थे ही। उनकी फिल्मों से दर्शक जुड़े क्योंकि लोग उनके सहज अभिनय के कायल थे
कश्मीर में तनाव

कश्मीर में तनाव

संसद पर हमले में फांसी की सज़ा पाए अफ़ज़ल गुरु और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक मक़बूल भट्ट की बरसी पर श्रीनगर में पहरा देते जवान।
अफजल गुरु की फांसी गलत: थरूर

अफजल गुरु की फांसी गलत: थरूर

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अफजल गुरु की फांसी की सजा को गलत बताया है। उन्होंने गुरु की फासी की सजा की दूसरी बरसी पर एक ट्वीट कर यह बात कही है।थरूर की इस बात की राजनीतिक हलकों में जोर-शोर से चर्चा है।
सियासी चौराहे पर अकेले ही ठिठके

सियासी चौराहे पर अकेले ही ठिठके

क्या कारण है कि जिस आडवाणी ने पहली बार जनसंघ का अध्यक्ष बनने पर 1973 में एक झटके में बलराज मधोक जैसी मजबूत शख्सियत को पार्टी से जड़ से उखाड़ फेंका, 1974 में जयप्रकाश आंदोलन के उड़ते तीर को पार्टी के लिए पकड़ बाद की इमरजेंसी के प्लावन मं सांप्रदायिकता की अस्पृश्यता धोने में गजब की फुर्ती दिखाई, संघ परिवार के संगठनों द्वारा आजादी के वक्त से ईंट-बैठाकर सुलगाए जा रहे बाबरी-मस्जिद रामजन्म भूमि के मसले को गरमाने के अवसरवादी क्षण को 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार के संकट में अचूक पहचाना, 1996 में भाजपा की सत्ता के लिए अन्य दलों के साथ जरूरी गठजोड़ बनाने के वास्ते खुद पीछे हटकर वाजपेयी को आगे करने की उस्तादी दिखाई, आज वही अपने नेतृत्व में न सहयोगी गठबंधन को उत्साहित कर पाए न अपनी पार्टी की दूसरी प्रांत के नेताओं को?
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