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Search Result : "गुजरात उच्च न्यायालय"

हरियाणा पंचायत चुनाव को लेकर सरकार और सर्वोच्च न्यायालय आमने-सामने

हरियाणा पंचायत चुनाव को लेकर सरकार और सर्वोच्च न्यायालय आमने-सामने

सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा पंचायत चुनाव को तत्काल स्थगित करने के आदेश दिए हैं। मंगलवार को आदेश देते हुए न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 7 अक्टूबर की तारीख तय की है। साथ ही स्पष्ट किया है कि अदालत के फैसले के बाद निर्वाचन आयोग नए सिरे से चुनाव की घोषाणा करेगा ।
मालेगांव विस्फोट: सालियान पर दबाव के आरोप खारिज

मालेगांव विस्फोट: सालियान पर दबाव के आरोप खारिज

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में आज इन आरोपों को खारिज किया कि बर्खास्त विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सालियान को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपियों पर नरम रुख अपनाने को कहा गया था। गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा, मुख्य आरोप यह है कि अभियोजक से नरम रुख अपनाने को कहा गया था। मैंने खुद दस्तावेजों को देखा है। इसमें कोई सच्चाई नहीं है।
देश में जजों की कमी, उच्च न्यायालयों में 392 पद खाली

देश में जजों की कमी, उच्च न्यायालयों में 392 पद खाली

एक महीने के भीतर उच्च न्यायालयों के आठ न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो चुके हैं जिससे देश के उच्च न्यायालयों में रिक्तियों का आंकड़ा बढ़कर इस महीने 392 हो गया। अगस्त में यह आंकड़ा 384 था। यह ऐसे समय में हुआ है जब उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नई नियुक्ति करने या उन्हें पदोन्नत करने का कोई तंत्र नहीं है।
हार्दिक फैक्टरः पूरे गुजरात में मोबाइल इंटरनेट पर रोक

हार्दिक फैक्टरः पूरे गुजरात में मोबाइल इंटरनेट पर रोक

पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हार्दिक पटेल को हिरासत में लिए जाने के बाद गुजरात सरकार ने कानून व्यवस्था से निबटने और किसी अफवाह को फैलने से रोकने के लिए समूचे गुजरात में मोबाइल इंटरनेट सेवा पर आज रोक लगा दी।
एकता यात्रा से पहले हार्दिक पटेल को लिया गया हिरासत में

एकता यात्रा से पहले हार्दिक पटेल को लिया गया हिरासत में

गुजरात में पटेल समुदाय के लिेए आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन चला रहे हार्दिक पटेल को आज सूरत में एकता यात्रा निकालते हुए पुलिस ने हिरासत में लिया।
गौमांस की बिक्री पर उच्च न्यायालय की रोक के विरोध में हड़ताल

गौमांस की बिक्री पर उच्च न्यायालय की रोक के विरोध में हड़ताल

गौमांस की बिक्री पर रोक के विरोध में आज कश्मिर के कुछ अलगाववादी गुटों ने बंद का आह्वान किया है। बंद से श्रीनगर में आम जीवन पर काफी असर पड़ा है।
‘मदरसों में तो झंडा फहरता ही है, संघ भी फहराए’

‘मदरसों में तो झंडा फहरता ही है, संघ भी फहराए’

इलाहाबाद उच्च न्यायालाय ने एक महत्वपूर्ण आदेश के तहत सूबे के सभी मदरसों में कल राष्ट्रगान गाए जाने और 15 अगस्त और 26 जनवरी को तिरंगा झंडा फहराने का आदेश क्या पारित किया कि सोशल मीडिया पर मुस्लिम समुदाय का गुस्सा फूट पड़ा। मुखर अल्फाजों में कहा गया कि आखिर किसी को मदरसों पर तिरंगे क्यों नहीं दिखाई देते हैं जबकि पहले से ही राष्ट्रीय दिवसों पर मदरसों में झंडा फहराया जाता है। अब इंतजार है कि जल्द ही नागपुर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के कार्यालय पर तिंरगा फहराने के आदेश पारित हों।
गुजरात में सामान्य होते हालात, सभी जगह से कर्फ्यू हटा

गुजरात में सामान्य होते हालात, सभी जगह से कर्फ्यू हटा

गुजरात में पटेल समुदाय के आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन के इस हफ्ते हिंसक रूप लेने के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं और पिछले दो दिनों में हिंसा की कोई बड़ी घटना ना होने के बाद सभी प्रभावित हिस्सों से आज कर्फ्यू हटा लिया गया।
पटेलों ने खोली गुजरात मॉडल की पोल

पटेलों ने खोली गुजरात मॉडल की पोल

'अमिताभ बच्चन की बातों पर न जाएं। गुजरात से जुड़े उनके विज्ञापन झूठे हैं। कुछ दिन बिताओ हमारे गुजरात के देहातों में तो असलियत पता चल जाएगी। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। युवक सड़कों पर बेकार घूम रहे हैं। तलाटी तक की नौकरी के लिए लाखों रुपये की घूस देनी पड़ती है। क्या यही है गुजरात का विकास मॉडल ?’
मिथक झुठलाते जनगणना के धार्मिक आंकड़े

मिथक झुठलाते जनगणना के धार्मिक आंकड़े

पिछले साल भारतीय जनता पार्टी केंद्र में सत्ता में क्या आई 1990 के दशक के मजहबी और जातिगत टकराव के गड़े मुर्दे मानो फिर से उखाड़े जाने लगे। एक तरफ जनगणना में धार्मिक समुदायों की जनसंख्या वृद्धि के चुनिंदा आंकड़े पूर्वाग्रह के रंग में रंगकर धीरे-धीरे सामाजिक और मुख्यधारा मीडिया में टपकाए जाने लगे और दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल और उसके परिवार के तरह-तरह के गेरुआधारी ‘पूतों फलों’ और ‘घर वापसी’ के भड़काऊ भाषणों के जरिये बहुसंख्यक समुदाय का भयादोहन कर अल्पसंख्यकों के विरुद्ध उन्माद पैदा करने की कोशिश करने लगे। नतीजतन देश में कई जगह अल्प तीव्रता वाले सांप्रदायिक उपद्रव होने लग गए, खासकर उन राज्यों में जहां विपक्ष की सरकारें थीं और आगे चुनाव होने थे।
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