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Search Result : "गाड़ी बीमा"

उत्तर प्रदेश की चुनावी गाड़ी गांधी भरोसे

उत्तर प्रदेश की चुनावी गाड़ी गांधी भरोसे

उत्तार प्रदेश में चुनाव की सुगबुगाहट तो लंबे समय से है लेकिन अब उसमें तेजी दिखाई देने लगी है। उत्तवर प्रदेश के लिए मुख्यमंत्री के चेहरे का 'खोजी अभियान जारी है। हाल ही में हुई भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में तय किया गया है कि अक्टूबर-नवंबर के महीने तक एक नाम 'खोज लिया जाएगा। इन सबके बीच भारी-भरकम उपनाम 'गांधी वाला एक युवा नेता भी मैदान में है। फिरोज वरुण गांधी महासचिव रह चुके हैं और उत्तगर प्रदेश मेंउनके पास अपनी मजबूत टीम और जनसमर्थन भी है। राजनीति में यदि अटकलबाजी न हो तो क्या मजा। यही वजह है खबरें आती रहती हैं कि फलां उनके पक्ष में और फलां उनके विरोध में। उनकी खूबी और ताकत का आकलन किया जा रहा है और सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंतरिक तौर पर पार्टी के सांसदों के बीच एक सर्वेक्षण कराया था जिसमें उत्तुर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें सर्वाधिक वोट मिले। यानी वह पार्टी के भीतर उत्त र प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे मुफीद समझे जा रहे हैं। ऐसा ही सर्वेक्षण एक अखबार ने कराया और आश्चर्यजनक रूप से उसमें भी फिरोज वरुण गांधी को सबसे ज्यादा वोट मिले थे।
एक्जिट पोल: असम में कमल, बंगाल में दीदी, पर अम्मा की गाड़ी अटकी

एक्जिट पोल: असम में कमल, बंगाल में दीदी, पर अम्मा की गाड़ी अटकी

सोमवार की शाम तमिलनाडू, केरल और पुडूचेरी में मतदान खत्म होने के साथ ही पांच राज्यों का चुनाव संपन्न हो गया। 19 मई को आने वाले नतीजों से पहले जारी विभिन्न एक्जिट पोलों ने राजनीतिक दलों की बेचैनी बढ़ा दी है। सभी एक्जिट पोल थोड़े-बहुत सीटों के अंतर के साथ लगभग एक जैसे परिणाम की ओर ही इशारा कर रहे हैं। ज्यादातर एक्जिट पोल असम और केरल में कांग्रेस की करारी हार तो भाजपा को असम और माकपा नीत एलडीएफ को केरल में सरकार बनाते हुए दिखा रहे हैं। पश्चिम बंगाल के एक्जिट पोल में ममता बनर्जी को एक बार फिर विजयी रथ पर सवार बताया जा रहा है।
बिहार: गाड़ी ओवरटेक करने पर जदयू पार्षद के पुत्र ने युवक को मारी गोली

बिहार: गाड़ी ओवरटेक करने पर जदयू पार्षद के पुत्र ने युवक को मारी गोली

बिहार के गया में जदयू पार्षद के पुत्र ने शनिवार की रात गाड़ी ओवरटेक करने पर एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी। कथित हत्या के मामले में पुलिस ने पार्षद के पति और पार्षद के अंगरक्षक राजेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया है जबकि आरोपी पुत्र फरार है।
किस गड्ढे में फंस रही नीतीश और गडकरी की गाड़ी

किस गड्ढे में फंस रही नीतीश और गडकरी की गाड़ी

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय सडक़ एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मिलकर बिहार की सडक़ों के हालात सुधारने की कोशिश में लगे हैं लेकिन गाड़ी कहीं न कहीं अटक जा रही है। चाहे वह सडक़ निर्माण के लिए जमीन के मुआवजे का मामला हो या फिर योजनाओं के लिए धनराशि का। इससे राज्य में सडक़ निर्माण की दिशा में तेजी से काम नहीं हो पा रहा है। यही नहीं, कुछ कंपनियों और ठेकेदारों से लेवी के नाम पर होने वाली वसूली से भी योजनाएं परवान नहीं चढ़ पा रही हैं। नितिन गडकरी जहां सडक़ निर्माण के लिए गति देने के लिए जाने जाते हैं वहीं नीतीश कुमार की छवि सुशासन बाबू के रूप में मशहूर है, फिर भी योजनाओं को गति नहीं मिल पाने से माना जा रहा है कि कहीं न कहीं कुछ अड़चन है जो विकास की गति को मद्धिम कर रही है।
‘एक दफा तो किसानों का कर्ज माफ कर दो’

‘एक दफा तो किसानों का कर्ज माफ कर दो’

‘सरकार बीमार इंडस्ट्री के नाम पर इंडस्ट्रीज का करोड़ों का कर्ज माफ कर देती है, हमारा इतना कहना है कि एक दफा तो किसान का कर्जा माफ कर दो।‘ कर्ज के मारे देश के दिहाड़ीदार बन चुके किसानों का यह कहना है। अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए आज देश भर से हजारों किसान दिल्ली के जंतर-मंतर पर इक्ट्ठा हुए। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के बैनर तले इन्होंने देश में जल्द से जल्द डॉ. एमएस स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने के लिए कहा।
चर्चाः किसान को सरकारी छतरी। आलोक मेहता

चर्चाः किसान को सरकारी छतरी। आलोक मेहता

‘मेरी छतरी के नीचे आ जा’ और ‘नहीं भूलेंगे यह बरसात की रात’ जैसे गीत सिनेमा के पर्दे और रेडियो पर मन मोह लेते हैं। प्रेम-विरह में भी बरसात, पहाड़, रेगिस्तान के दृश्य दिल-दिमाग को द्रवित करते हैं।
नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

भारत सरकार में इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व अधिकारी और विवेकानंद फाउंडेशन के फेलो आरएनपी सिंह को खुफिया से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में गहरा अनुभव है। उनकी राइट्स एंड रांग्स, बांग्लादेश डिकोडेड और हिंदी में दो पुस्तकें बहुत चर्चित रहीं। नेहरू: ए ट्रबल्ड लीगेसी से उन्होंने कुछ मौलिक सवाल उठाए हैं: क्या हमने कभी नेहरू के बारे में ईमानदारी से मूल्यांकन किया है और इस प्रभाव में क्या हमने देश के समकालीन इतिहास का निष्पक्ष मूल्यांकन किया है? इस पुस्तक में नेहरू के सिद्धांतवाद या अपने हित में दोहरे मानदंड अपनाने पर सवाल उठाए गए हैं।