केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बांग्लादेश के साथ थल सीमा संबंधी समझौते के क्रियान्वयन के लिए प्रस्तावित विधेयक के मसौदे को मंगलवार को मंजूरी दे दी, जिसमें पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मेघालय के साथ-साथ असम से जुड़े क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है।
मोदी की पंसदीदा स्मार्ट सिटी योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिलने में ही 11 महीने का समय लग गया। इस बीच, केंद्र सरकार ने जेएनएनयूआरएम के दूसरे चरण की योजना से नेहरू का नाम हटा दिया है।
मध्य प्रदेश एक बार फिर माफिया की करतूतों से चर्चा में है। खनन, भूमि, स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में फैले माफियाओं ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कल तक मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार का गुणगान करने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेता भी अब मानने लगे हैं कि राज्य में अव्यवस्था फैलती जा रही है।
केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए रियल एस्टेट से जुड़े विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके अलावा सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता छह फीसदी बढ़ा दिया है। इससे कर्मचारियों का कुल महंगाई भत्ता 11.3 प्रतिशत हो जाएगा।
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की समय सीमा समाप्त होने से एक दिन पहले सरकार ने इसे फिर से जारी कर दिया। इस अध्यादेश के बदले संबंधित विधेयक को राज्यसभा में विपक्ष के कड़े प्रतिरोध के कारण पारित नहीं करा पाने के कारण सरकार ने अध्यादेश को फिर से जारी किया।
उत्तराखंड के रामनगर में दो पत्रकारों पर जानलेवा हमला किया गया है। हमले में स्वतंत्र पत्रकार और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी गंभीर रूप से घायल हुए हैं। प्रभात को हद्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
भारतीय पूंजी बाजार को और व्यापक बनाने तथा कंपनियों और बुनियादी परियोजनाओं के लिए पूंजी जुटाने के काम में आसानी के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रविवार को कई फैसले किए। इनमें नगर पालिका बांडों की सूचीबद्धता और देश में सिंगापुर और दुबई की तर्ज पर वित्तीय सेवा केंद्रों की स्थापना के नियम शामिल हैं।
केंद्र सरकार को आज राज्यसभा में विपक्षी दलों में फूट डालकर खान और खनिज विधेयक तथा कोयला खनन विधेयक पारित करवाने में सफलता मिली। ये दोनों विधेयक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारपोरेट विकास के लिए बहुत अहम थे और इन्हें पारित कराना उनके लिए बड़ी चुनौती भी थी।
काफी विवादों और तकरार के बाद खान एवं खनिजों के मामले में राज्यों को और अधिक अधिकार देने वाले चर्चित विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई। कांग्रेस एवं वाम दलों को छोड़कर अधिकतर पार्टियों ने इसका समर्थन किया जबकि जदयू ने यह कह कर वाकआउट किया कि वह इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहता है।