महाराष्ट्र सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाने वाले किसानों के आंदोलन का असर आज दूसरे दिन भी बरकरार है। कर्ज माफी की मांग को लेकर किसान गुरुवार से हड़ताल पर हैं। राज्य में किसान आंदोलन में जारी हिंसा को देखते हुए प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी है। किसानों ने बुलडाणा में दूध से होली भी खेली।
महाराष्ट्र में कर्ज माफी की मांग को लेकर आज से किसान हड़ताल पर चले गए हैं। आम लोगों को फल-सब्जी और दूध की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। किसानों ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है।
दुनिया के सबसे बड़े इस्पात निर्माता आर्सेलर मित्तल व घरेलू सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी सेल के बीच प्रस्तावित संयुक्त उपक्रम अंतिम चरण में है और इस माह में इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है। यह जानकारी मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेस में केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह ने दी।
आल इंडिया किसान सभा का कहना है कि प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी फसल बीमा योजना के तहत घोटाला किया जा रहा है। सभा का कहना है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली को किसानों के बकाया दावो के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए।
देश में सबसे तेजी से आगे बढ़ रही डेयरी कंपनी क्वालिटी लिमिटेड ने राजस्थान के चुरु और बीकानेर जिले के सरदार शहर और लंकारानसार में किसानों के बीच कर्ज बांटे। बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ हुए कंपनी के समझौते के बाद एक लाख किसानों के बीच 4,000 करोड़ रुपये कर्ज के रूप में दिए जाएंगे। राशि बांटने के लिए आयोजित समारोह में दो हजार किसानों ने भाग लिया। इनमें से चार सौ को कर्ज की राशि दी गई।
पुरवाई की मार और आंधी के कहर की वजह से इस बार फलों के राजा आम की पैदावार में 65 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आने की आशंका है। लिहाजा इस दफा आम बेहद खास होने जा रहा है और इसका जायका लेने के लिये जेब काफी ढीली करनी पड़ सकती है। मौसमी हालात से बेजार आम उत्पादकों ने सरकार से खुद को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे में लाने की मांग की है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया है कि सरकार की कृषि आय पर कर लगाने की योजना नहीं है और न ही उसका अमीर किसानों पर किसी तरह का कर लगाने का इरादा है। वित्त मंत्री ने कहा कि विरले ही किसान धनी हैं। जेटली ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा कि कृषि क्षेत्र मुश्किल में है और कृषि आय पर कर लगाने का सवाल ही नहीं पैदा होता।
एशिया व प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग इस्केप की एक रपट के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अगले साल 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह अनुमान देश में खपत बढ़ने तथा बुनियादी ढांचे पर उंचे खर्च की उम्मीद के साथ व्यक्त किया गया है।