बिहार विधानसभा चुनाव में मिली जीत से उत्साहित लालू प्रसाद यादव अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को राष्ट्रीय स्वरूप देने में जुट गए हैं। बताया जा रहा है कि लालू ने इसके लिए कई राज्यों के नेताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया है।
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव मंत्रिपद पाने के बावजूद सरकारी बंगला लेने से इंकार कर दिया है। तेजस्वी और तेजप्रताप पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को आवंटित बंगले में ही रहेंगे। लालू और राबड़ी के साथ दोनों बेटों के रहने को लेकर भी सियासी नजरिए से देखा जा रहा है।
बिहार में नीतीश कुमार का शपथग्रहण समारोह शुक्रवार को बड़े तामझाम से मनाया जा रहा है। वैसे तो राष्ट्रीय जनता दल के नेता नीतीश कुमार की तीन संतानों को मंत्री पद की शपथ दिलाए जाने की संभावना है लेकिन विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि उनके सबसे छोटे बेटे तेजस्वी यादव उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। तेजस्वी यादव ने महज नौवीं तक पढ़ाई की है जबकि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में मौका मिलने पर चार पारियों में सिर्फ तीन रन बनाए हैं।
बिहार में भले ही नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनकर वाहवाही लूट रहे हैं लेकिन राजद प्रमुख लालू यादव ने अपने बेटे तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनवाकर दबाव बढ़ा दिया है। 26 साल की उम्र में उपमुख्यमंत्री बने तेजस्वी लालू के छोटे बेटे हैं और शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद दूसरे नंबर पर शपथ लेने वालों में शामिल रहे।
बिहार के मधेपुरा से सांसद और जनाधिकार पार्टी (जेएपी) के प्रमुख राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने आज उन अमर्यादित दावों के लिए माफी मांगी है, जिनमें उन्होंने कहा था कि यदि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के दोनों बेटे बिहार विधानसभा का चुनाव जीत जाते हैं तो वह (पप्पू यादव) राजनीति छोड़ देंगे।
पंजाब और हरियाणा के अति सुरक्षा वाले, सिविल सचिवालय की इमारत में एक हथियारबंद व्यक्ति हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यालय पहुंचने के लिए सुरक्षा के कई स्तरों को पार करने में कामयाब रहा। इसके बाद सीआईएसएफ के छह कर्मियों को निलंबित कर दिया गया।
बीस साल की सहरुमा पेट से है। नवां महीना जारी है। उसके पास न तो जच्चा-बच्चा कार्ड और न ही उसे पता है कि बच्चे की पैदाइश कहां हो सकेगी। पिछले चार महीनों से उसने डॉक्टर के यहां कोई चेकअप भी नहीं करवाया है। सहरुमा फरीदाबाद के गांव अटाली के उस अल्पसंख्यक पीड़ित समुदाय से है जिन्हें सांप्रदायिक हिंसा के चलते चार महीने पहले अपना घर और गांव छोड़ना पड़ा था। फरीदाबाद के अटाली में हालात जस के तस हैं। जिन 175 परिवारों ने गांव छोड़ा था उनके हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। गौरतलब है कि लगभग चार महीने पहले अटाली गांव में मस्जिद बनाने के विवाद पर सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी।
नेपाल में भूकंप के बाद संविधान निर्माण की प्रक्रिया को लेकर विभिन्न दलों के प्रयासों में गंभीरता और तेजी तो आई, लेकिन अभी कुछ मसले अटके हुए हैं। इन्हें पाटने के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय भी सक्रिय हुआ है। इस संदर्भ में विदेश मंत्रालय ने नेपाल और भारत में प्रमुख नेपाली राजनीतिक दलों के चुनिंदा नेताओं से बातचीत का क्रम शुरू कर दिया है।