सरकार ने इशरत जहां मामले में लापता फाइलों के मामले पर विचार के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। अतिरिक्त गृह सचिव को इसकी जांच का जिम्मा दिया गया है।
विदेशी रेसलर्स से फाइट में घायल हुए खली शुक्रवार शाम अस्पताल से डिस्चार्ज हो गए हैं। डिस्चार्ज होने के बाद उन्होंने कहा, 'मैं फाइट के लिए फिट हूं। 28 फरवरी को विदेशी रेसलर को पीटकर बदला लूंगा। खून के बदले खून निकालूंगा।'
जिसका मन करता है, वह चार कुर्सी-टेबल लगा कर कोचिंग सेंटर खोल लेता है क्योंकि हमारे देश में स्कूल खोलना मुश्किल काम है। स्कूल खोलने के लिए कई औपचारिकताएं होती हैं, जिसे हर कोई पूरा नहीं कर सकता है लेकिन निजी कोचिंग सेंटर के लिए कुछ नहीं करना होता। इसके लिए देश में कोई रेगुलेटरी बोर्ड नहीं। कोचिंग सेंटर्स शिक्षा का रैकेट और संगठित माफिया है। इनके बड़े-बड़े होर्डिंग्स, विज्ञापन छात्रों को आकर्षित करते हैं। शिक्षकों को लगता है कि स्कूल या कॉलेज में क्यों पढ़ाना? वे स्कूल-कॉलेज में वे ट्रिक्स नहीं देते जो कोचिंग सेंटर में देते हैं। कोई नहीं जानता कि देश में कितने कोचिंग इंस्टीट्यूट्स हैं, ये सालाना कितने करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और कटक से अटक तक कोचिंग का धंधा औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ पांव पसार चुका है और इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता। बिहार के मूल निवासी पीयूष कुमार गुजरात के अहमदाबाद में बैंक अधिकारी हैं। परिवार में पत्नी के अलावा सिर्फ एक बेटा है जो दसवीं की परीक्षा पास कर चुका है। मगर बेटा और पत्नी उनके साथ नहीं रहते। दोनों राजस्थान के कोटा में हैं जहां बेटा आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए एक नामी कोचिंग सेंटर में तैयारी कर रहा है। एक और उदाहरण देखें:ओडिशा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुकी श्वेता कुमारी इंजीनियरिंग क्षेत्र में मंदी के कारण बैंक की नौकरी की तैयारी कर रही हैं। सिलीगुड़ी के अपने घर में रहकर उसने परीक्षा दी मगर लिखित परीक्षा की बाधा पार नहीं हो पाई। उसने दिल्ली का रुख किया और यहां एक कोचिंग से बैंकिंग की तैयारी के बाद पहली बार में ही रिजर्व बैंक और बैंक पीओ की लिखित परीक्षा पास कर ली। ये दो उदाहरण देश में कोचिंग के पूर्ण विकसित हो चुके धंधे की कहानी बयां करते हैं। जरा 15 साल पहले का जमाना याद करें जब कोचिंग का मतलब आपके घर में ही आस-पड़ोस के किसी बेरोजगार युवक द्वारा आपके बच्चों को पढ़ाई में थोड़ी-बहुत मदद कर देना होता था। अब अगर बच्चे को डॉक्टर, इंजीनियर, मैनेजर, प्रशासनिक अधिकारी या किसी सरकारी दफ्तर में क्लर्क ही बनना हो तो औपचारिक शिक्षा की डिग्री के साथ-साथ किसी कोचिंग संस्था का मार्गदर्शन होना अनिवार्य है अन्यथा गला काट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में उसका पिछड़ना तय है। सीधे शद्ब्रदों में कहें तो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और कटक से अटक तक कोचिंग का धंधा औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ पांव पसार चुका है और इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता। साल 2013 में हुए एक आकलन के मुताबिक भारत में कोचिंग इंडस्ट्री लगभग 23.7 अरब डॉलर (160.16 अरब रुपये) की थी, जिसके साल 2015 में 40 अरब डॉलर (270 अरब रुपये) के होने की भविष्यवाणी की गई थी और अगले पांच वर्षों में यह 500 अरब रुपये तक पहुंच सकती है।
लोकसभा ने आज भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक, 2015 को ध्वनिमत से पारित कर दिया जिसमें वस्तु, प्रसंस्करण, पद्धति और सेवाओं के मानकीकरण, एकरूपता निर्धारण और गुणवत्ता सुनिश्चित करने एवं विकास जैसे कार्य के लिए एक राष्ट्रीय मानक निकाय स्थापित करने की बात कही गई है।
सरकार ने चौथे दौर में आठ ब्लाकों की ऑनलाइन नीलामी की प्रकिया आज शुरू कर दी। इन ब्लाकों की नीलामी इस्पात, सीमेंट व लौह जैसे क्षेत्रों के लिए की जानी है। सरकार कोयला ब्लाकों की नीलामी व आवंटन के पहले तीन चरणों में तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि पहले ही जुटा चुकी है।
बिहार विधानसभा चुनाव में शर्मनाक पराजय के बाद हुई भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट दे दी गई है, वे हार की वजह नहीं है, उन्हें उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है,
बिहार चुनाव में नीतीश-लालू के महागठबंधन को शानदार जीत मिली जबकि भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए का सफाया हो गया है। नीतीश कुमार एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। बिहार के साथ-साथ देश की राजनीतिक दिशा-दशा तय करने वाले इन चुनावों में महागठबंधन ने 178 सीटें हासिल की हैं जबकि एनडीए के खाते में सिर्फ 58 सीटें आई हैं। भाजपा खिसक कर तीसरे नंबर पर आ गई है। लालू यादव की राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
पहली बार मैं किसी मामले में अमित शाह से खुद को पूरी तरह सहमत पाता हूं। यह कि बिहार चुनाव केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों और कामकाज पर जनमत संग्रह नहीं है।
एनडीए में भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने आज बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने 17 उम्मीदवारों की घोषणा की और साफ किया कि उसके किसी उम्मीदवार को टिकट पारिवारिक संपर्क के कारण नहीं दिया गया है।