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Search Result : "उपमुख्यमंत्री अजीत पवार"

विदेशी शासन से बने बैकलाॅग को पूरा करने में जुटा संघ

विदेशी शासन से बने बैकलाॅग को पूरा करने में जुटा संघ

राष्ट्रीय स्वसंसेवक संघ ने कहा कि आजादी के पहले के एक हजार साल के विदेशी शासन के कारण बने बैकलाॅग को अब पूरा करना है और हिन्दू समाज अब अपनी स्वाभाविक शक्ति, मेधा और स्वाभिमान से खड़ा है। संघ की ओर से यह भी कहा गया कि संघ हिन्दू समाज के साथ सभी लोगों की चिंता करेगा।
अब क्या करेंगे योगेंद्र-प्रशांत

अब क्या करेंगे योगेंद्र-प्रशांत

आम आदमी पार्टी यानी आप की राजनीतिक मामलों की कमेटी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले जाने के बाद योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, प्रो. आनंद कुमार और प्रो. अजीत झा क्या करेंगे? क्या वे चुपचाप पार्टी से बाहर हो जाएंगे या अपने समर्थकों को लेकर नई पार्टी बनाएंगे? आम आदमी पार्टी को कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के विकल्प के तौर पर देखने वालों के सर पर आजकल ये सवाल बेताल की तरह नाच रहे हैं।
बंट गई आम आदमी पार्टी

बंट गई आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी आखिर दो गुटों में बंट ही गई। एक गुट मुख्य‍मंत्री अरविंद केजरीवाल के समर्थन में तो दूसरा योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के समर्थन में। दिल्ली में ऐतिहासिक जीत के बाद पहली बार आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जो हंगामा हुआ उसकी पटकथा पहले से ही तैयार थी।
बेमौसम बारिश पर राज्यसभा में चिंता

बेमौसम बारिश पर राज्यसभा में चिंता

देश के विभिन्न भागों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण गेहूं, तिलहन एवं बागवानी फसलों को हुई भारी क्षति पर गुरूवार को विभिन्न दलों के नेताओं ने गहरी चिंता जताते हुए प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा एवं फौरी राहत दिलाने के लिए विभिन्न सुझाव दिए।
डालमिया बॉस, दूसरे खेमे से सिर्फ अनुराग

डालमिया बॉस, दूसरे खेमे से सिर्फ अनुराग

किसी जमाने में बीसीसीआई के निर्विवाद सुप्रीमो रहे जगमोहन डालमिया आखिरकार एक बार फिर दुनिया की इस सबसे अमीर क्रिकेट संस्‍था पर काबिज हो गए। उन्हें सर्वसम्मति से बीसीसीआई का अध्यक्ष चुना गया मगर एन. श्रीनिवासन गुट को तब तगड़ा झटका लगा जब विरोधी खेमे के अनुराग ठाकुर ने श्रीनिवासन के विश्वस्त संजय पटेल को हराकर सचिव पद पर कब्जा जमा लिया।
बिन मांगे समर्थन

बिन मांगे समर्थन

महाराष्टï्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद राष्टï्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भाजपा को बिना मांगे ही समर्थन दे दिया। लोग राकांपा के इस फैसले से भौंचक थे।
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