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जेपी दत्ता की फिल्म से अजित का बॉलीवुड में प्रवेश

जेपी दत्ता की फिल्म से अजित का बॉलीवुड में प्रवेश

शाहरुख खान, अक्षय कुमार, सिद्धार्थ मल्होत्रा जैसे कामयाब अभिनेताओं को बॉलीवुड भेजने वाले दिल्ली से एक और हीरो दस्तक देने को तैयार है और वो है अजित अहमद सोढ़ी। 6 फुट के अजित कद-काठी और अंदाज से पूरी तरह हीरो नजर आते हैं। अजित ‘जी भर के जी ले’ फिल्म में जेपी दत्ता की बेटी के साथ दिखने वाले हैं यह फिल्म मई में रिलीज होने जा रही है।
हाशिमपुरा मामले में लोगों का बरी होना अन्याय: कांग्रेस

हाशिमपुरा मामले में लोगों का बरी होना अन्याय: कांग्रेस

हाशिमपुरा में 42 मुसलमानों की हत्या के आरोपी पीएसी कर्मियों में से जीवित 16 लोगों को बरी किए जाने को कांग्रेस ने अन्याय बताते हुए मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार को आदेश के खिलाफ ऊपरी अदालतों में अपील करनी चाहिए।
बांग्लादेश ने हासिल किया रिकार्ड लक्ष्य

बांग्लादेश ने हासिल किया रिकार्ड लक्ष्य

तमीम इकबाल की अगुवाई में शीर्ष क्रम के चार बल्लेबाजों की अर्धशतकीय पारियों से बांग्लादेश ने पेशेवर क्रिकेट का शानदार नमूना पेश करके यहां काइल कोएटजर की बड़ी शतकीय पारी पर पानी फेरा और स्काटलैंड को छह विकेट से हराकर आईसीसी विश्वकप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने की अपनी उम्मीदों को जीवंत रखा।
एक नास्तिक की मौत

एक नास्तिक की मौत

अभिजीत रॉय के पिता ने अपना घर और मातृभूमि पूर्वी पाकिस्तान, अब बांग्लादेश, छोडक़र भारत जाने से इन्कार कर दिया था। अभिजीत के पिता ढाका विश्वविद्यालय में फिजिक्स पढ़ाते थे। खुद अभिजीत ने सिंगापुर की नेशनल युनिवर्सिटी में अध्ययन किया। पेशे से इंजीनियर अभिजीत ने एक मुस्लिम महिला रफीदा अहमद 'बॉन्या (वन्या)’ से प्रेम विवाह किया। वह पैदा तो हिंदू हुए थे लेकिन बड़े होकर नास्तिक बने।
अहमद पटेल की सक्रियता के मायने

अहमद पटेल की सक्रियता के मायने

अहमद पटेल और उनके करीबियों को यह पक्का आभास है कि पार्टी के भीतर बन रहे नए केंद्रक के मुताबिक नए तेवर अपनाना जरूरी है। राहुल गांधी के कद को बढ़ाने के लिए भी एक तरफ आम जन के मुद्दों से जुडऩा जरूरी है और दूसरी तरफ कांग्रेस के शीर्ष और निष्प्रभावी नेताओं को किनारे करने के लिए भी रणनीति बनानी जरूरी है। कांग्रेस में दोनों पहलुओं पर विचार तो खूब हो रहा है लेकिन इसका बहुत ठोस फायदा होता दिख नहीं रहा।
आज की शब पौ फटे तक जागना होगा

आज की शब पौ फटे तक जागना होगा

उस कदर प्यार से ऐ जाने जहां रखा है दिल के रुखसार पे इस वक्त तेरी याद ने हाथ अक्सर हमारी तनहाइयों में लरजां रहे उनकी आवाज के साये, गो हम कभी इकबाल बानो का दीदार नहीं कर सके और वह चली गई। हालांकि हमारे और इस उपमहाद्वीप के दिल की गहराईयों में वह हमेशा सुलगती रहेंगी। उफक पर चमकती हुई। सच पूछो तो बानो के सामने, पुरानी कहावत के मुताबिक, हम कभी जनमे ही नहीं क्योंकि हमने उनका लाहौर कभी नहीं वेख्या, हालांकि वह हमारी दिल्ली से ही वहां जा बसी थीं। पर आधुनिक टेक्नोलॉजी का कमाल कहिए कि इकबाल बानो की दमदार आवाज ने इस पार के करोड़ों लोगों की तरह हमारी रगों में भी एक अजीब वक्त की बेडिय़ों में जकड़े लाहौर की जुंबिश धडक़ाई थी: जब जुल्मों सितम के कोहे गरां रूई की तरह उड़ जाएंगे हम महकुमूं के पांव तले ये धरती धड़-धड़ धडक़ेगी और अहले हुकुम के सर ऊपर जब बिजली कड़-कड़ कडक़ेगी हम देखेंगे
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