भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से अपनी नागरिकता पर उठाए गए सवालों पर पलटवार करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोल दिया। उन्होंने कहा कि मोदी जी आरोप लगाना बंद कीजिए, अगर मैं गलत हूं तो जांच कराइए और जेल भेजिए।
शुक्रवार को केंद्र सरकार द्वारा लिए गए दो फैसलों से देश में महंगाई की आग और भड़कने वाली है। एक फैसला पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ोतरी का है जिसके तहत केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोल पर 1.6 रुपये और डीजल पर 40 पैसे प्रति लीटर की दर से एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोने से जुड़ी तीन महत्वकांक्षी योजनाओं की शुरुआत की। इन योजनाओं का मकसद देश में सोने के बढ़ते आयात पर अंकुश लगाने और घरों तथा अन्य जगहों पर बेकार पड़े करीब 800 अरब डॉलर के 20 हजार टन सोने को उपयोग में लाना है।
माखनलाल फोतेदार की पुस्तक 'द चिनार लीव्स’ में नेहरु-गांधी परिवार के बारे में कई खुलासे किए है। इस खुलासे के बाद कांग्रेस असहज महसूस कर रही है। पुस्तक ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कमान सौंपने की तैयारी चल रही है। पुस्तक में जो खास बाते हैं प्रस्तुत है उसका प्रमुख अंश:
कभी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे नटवर सिंह ने साल 2014 में जब अपनी पुस्तक में यह खुलासा किया था कि 2004 में राहुल गांधी ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने से रोका था। उस समय सोनिया और राहुल ने नटवर से मुलाकात कर पुस्तक से कुछ बातों को निकालने के लिए कहा था। बाद में नटवर सिंह ने खुद ही खुलासा कर दिया कि सोनिया और राहुल उनसे मिलने आए थे। किताब के जरिए कांग्रेस में जो नई सियासत शुरू हुई है उससे पार्टी के कई नेता बेचैन हैं।
साल 1990 में वी पी सिंह सरकार के पतन के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन चाहते थे कि प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री बनें लेकिन राजीव गांधी ऐसा नहीं चाहते थे। वह कुछ और ही सोच रहे थे।
एकता परिषद के संस्थापक और प्रख्यात गांधीवादी विचारक राजगोपाल पी.व्ही. को साल 2013-14 के 29वें इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है।
आधार कार्ड अनिवार्य करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसला देते हुए आधार कार्ड की अनिवार्यता पर रोक के अपने पहले के फैसले को बरकरार रखा है।
विधि आयोग को एक स्थायी संस्था का रूप देने के प्रस्ताव को फिलहाल सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है और हर तीन साल पर पुनर्गठन की मौजूदा व्यवस्था को जारी रखने का फैसला किया है।