गणित के कठिन सवालों के बीच गोदान का होरी भी जिंदगी के जवाब खोजता है। रसायन के सूत्र भले भूल जाएं मगर चंदर का सुधा भूल जाना अखरता है। प्रकाश के परावर्तन का नीरस सिद्धांत सुनील के केस को सुलझाते ही सरस लगने लगता है। ब्लैक बोर्ड पर अल्फा, बीटा, गामा के बीच निर्मला, चोखेरबाली और राग दरबारी भी धमाचौकड़ी मचाते हैं। अमूमन घरों में होशियार बच्चे विज्ञान पढ़ते हैं। विज्ञान में भी लड़के गणित और लड़कियां जीव विज्ञान पढ़ती हैं। जब कोर्स की किताबें ही साल में खत्म करना मुश्किल हो तो कहानी-कविताएं, उपन्यास पढ़ने के लिए किसके पास वक्त है। गणित लेने के बाद अर्जुन की आंख की तरह बस एक ही लक्ष्य है, आईआईटी। विज्ञान पढ़ रहे बच्चों के माता-पिता को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से कम कुछ भी गवारा नहीं है। मोटी-मोटी किताबों, सुबह से शाम तक चलने वाली कोचिंग क्लासों के बीच इंजीनियर बनने का सपना पलता है। ऐसे में साहित्य की कौन सोचे। पढ़ाई के दौरान साहित्य पढऩा समय की बर्बादी है और लिखना... इसके बारे में तो सोचना भी मत।
आमिर खान का मानना है कि ट्विंकल खन्ना बहुत ही मजाकिया हैं। आमिर ट्विकंल खन्ना के लेखन के प्रशंसक हैं और एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित हो रहे उनके स्तंभ को नियमित रूप से पढ़ते हैं।
प्रसिद्ध निर्देशक आर. बाल्की का फिल्म बनाने का अलग ढंग है। उसी तरह है उनका फिल्मों को अलग तरह के नाम देना। इस बार बाल्की अमिताभ और जया बच्चन को लेकर एक फिल्म बना रहे हैं। नाम रखा है, की एंड का। अब इस नाम के मायने तो फिल्म देख कर ही समझ में आएंगे।
27 जुलाई, 2015 दो झटके लेकर आया। पंजाब के गुरदासपुर में आतंकी हमला और पूर्व राष्ट्रपति 'मिसाइलमैन’ अब्दुल कलाम का निधन। कलाम का जाना एक दौर का अवसान था जबकि गुरदासपुर हमले की घटना आतंक के एक नए मोर्चे की शुरुआत।
बंबई उच्च न्यायालय ने आज एक अर्जी स्वीकार करने से इंकार कर दिया। अर्जी में वर्ष 2002 के हिट एंड रन मामले में सुनाई गई पांच साल की सजा के खिलाफ बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की अपील पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
प्रफुल्ल बिदवई विलक्षण प्रतिभा के धनी पत्रकार, प्रवक्ता, बुद्धिजीवी और कार्यकर्ता थे। उनका अकस्मात हमारे बीच से चले जाना जनतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और शांति आंदोलनों के लिए एक बड़ा झटका है। आज के विपरीत समय में अपनी बेबाक शैली, सुव्यवस्थित विश्लेषण और दुस्साहस के स्तर तक जोखिम उठाने की क्षमता के चलते वे अनेक युवा और आदर्शवादी पत्रकारों के प्रेरणास्रोत रहे। उनकी वैज्ञानिक और संपूर्ण दृष्टि तथा ऐतिहासिक बोध, उनकी विश्लेषण क्षमता का मूल मंत्र रहा। इसी ने उन्हें हमेशा खास बनाए रखा और जीवनभर उनकी लेखनी की चमक यूं ही बनी रही।
घरेलू कंपनियां अपने कर्मचारियों को इस साल वेतन में औसतन 10.8 प्रतिशत की वृद्धि की पेशकश कर सकती हैं जो एशिया प्रशांत क्षेत्र में सर्वाधिक है। वहीं बेहतर प्रदर्शन करने वालों के वेतन में 12 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।