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Search Result : "आरोपियों की मौत"

केन्या में आतंकियों ने 147 की जान ली

केन्या में आतंकियों ने 147 की जान ली

केन्या के एक विश्वविद्यालय परिसर में गुरुवार को सोमालिया के शबाब इस्लामी समूह द्वारा किए गए नरसंहार में कम से कम 147 छात्र मारे गये। यह 1998 में अमेरिकी दूतावास पर हमलों के बाद देश में अब तक का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला है।
तेलंगाना: गोलीबारी में दो पुलिसवालों की मौत

तेलंगाना: गोलीबारी में दो पुलिसवालों की मौत

तेलंगाना के नलगोंडा जिले में एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा की गई गोलीबारी में दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई और दो अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए है। हमलावर का अब तक तक पता नहीं चल पाया है।
आंगनवाडी में जहरीले भोजन से मौत

आंगनवाडी में जहरीले भोजन से मौत

आंध्र प्रदेश के दोंतामुर गांव के एक आंगनवाड़ी केंद्र में विषाक्त भोजन खाने से दो वर्षीय लड़के की मौत हो गई और एक की हालत गंभीर बनी हुई है। यह घटना रंगमपेटा मंडल के जी दोंतामुर गांव में हुई।
व्यापम के आरोपी और राज्यपाल के पुत्र की संदिग्ध मौत

व्यापम के आरोपी और राज्यपाल के पुत्र की संदिग्ध मौत

व्यापम घोटाले के एक आरोपी की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई है। यह आरोपी मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव के बेटे शैलेष यादव हैं। जिन्हें बुधवार को संदिग्ध हालात में लखनऊ स्थित अपने घर में मृत पाया गया।
जहर से हुई शैलेष की मौत

जहर से हुई शैलेष की मौत

मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले के आरोपी और राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेष यादव की मौत का राज गहराता जा रहा है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक शैलेष की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में नहीं बल्कि जहर से हुई है।
रवि की मौत की जांच सीबीआई को

रवि की मौत की जांच सीबीआई को

कर्नाटक सरकार ने आईएएस ऑफिसर डी.के. रवि की मौत का मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है। सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने राज्य विधानसभा में यह घोषणा की। विपक्षी दल और रवि के परिवार के लोग शुरू से ही मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे थे जबकि सरकार ऐसा नहीं चाहती थी।
रवि की मौत के पीछे रंजिश या मोहब्बत?

रवि की मौत के पीछे रंजिश या मोहब्बत?

कर्नाटक में एक युवा और जोशीले आइएएस अधिकारी डी.के. रवि की अप्राकृतिक मौत एक अप्रत्याशित अंत में तब्दील हो गई है। पूरे देश के मध्य वर्ग को नेताओं और नौकरशाहों में अपना नायक तलाशने की आदत हो गई है, इससे बुरी तरह विचलित है। भारत में लगातार बढ़ता यह वर्ग यथास्थिति कायम रखने का पक्का समर्थक है और समस्याओं की जड़ तलाशने एवं उनके समाधान का प्रयास करने से इनकार करता रहा है। यह समस्या के लक्षणों पर ध्यान केंद्रित करने और उनके आसान हल तलाशने में ही खुश रहता है और खुद को अपने नायक की भक्ति में व्यस्त रखता है।
सुजेट जॉर्डन: जिंदादिल की ख्वाहिशों की मौत

सुजेट जॉर्डन: जिंदादिल की ख्वाहिशों की मौत

यह एक ब्रांड की तरह ऐसी छवि बनाता है जिससे मुक्त हो पाना लगभग असंभव है। भारत में तो इससे बाहर निकल पाना और भी मुश्किल है क्योंकि यहां हर पड़ोसी के पास खास निगाहें, कान और जुबान है। जहां देखने वाले रात में खिड़की के पर्दों के पीछे से इंतज़ार करते हैं कि कौन कब घर लौटता है। कौन किससे मिलने आ रहा है। ख़ास तौर पर तब जब घर में कोई दूसरा न हो। बलात्कार की पीड़ा भोग चुके लोग खास तौर पर इसे जानते हैं क्योंकि यह जो भी सकारात्मक या रचनात्मक है उस पर धब्बा लगा देता है। सार्वजनिक कामों में इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। अगर ‘पार्क स्ट्रीट बलात्कार पीड़ित’ की बात की जाए तो तब वह एक जीवंत पार्टीपसंद लड़की थी, जिसे नाइटक्लब पसंद थे। उसने एक छोड़ी की भूल की जिसने उसकी सारी ज़िंदगी बदल दी। वैसे भी जीवंत पार्टीपसंद लड़कियां आधी रात के आसपास सबके निशाने पर होती हैं। ख़ास तौर पर तब संदेहास्पद पहचान वाले शिकारी घूमते रहते हैं।